भारत की अर्थव्यवस्था एक तो पहले से ही बुरे दौर में थी और अब कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने स्थिति और ख़राब कर दी है। मार्च महीने में निर्यात में 34.57 फ़ीसदी की कमी आई है। विशेषज्ञों ने इसे हाल के समय में एक रिकॉर्ड कमी बताई है। निर्यात में कमी आने का मतलब है कि पहले दूसरे देशों को हम जितना सामान बेच पाते थे उसमें कमी आ गई है।
दिसंबर महीने में कोरोना वायरस का पहला मामला आने के बाद जब जनवरी में यह दुनिया भर में फैलना शुरू हुआ तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था इससे प्रभावित हुई। हालाँकि शुरुआत में चीन के साथ ही दूसरे देशों का व्यापार ज़्यादा प्रभावित हुआ था क्योंकि तब चीन का वुहान शहर ही इस वायरस महामारी का केंद्र था और दूसरे देशों में कुछ मामले ही आए थे। लेकिन बाद में फ़रवरी और मार्च में इसने भारत सहित दुनिया के दूसरे देशों में ज़ोर पकड़ा और कई देशों में लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी। और इसी कारण इन देशों के बीच भी आपसी व्यापार काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुआ। कोरोना के कारण वैश्विक मंदी आ गई। माना तो यह भी जा रहा है कि यह इसलिए हुआ है क्योंकि कोरोना की वजह से सप्लाई चेन यानी आपूर्ति करने की प्रक्रिया बाधित हुई है। जब एक जगह से दूसरी जगह सामान ले जाने में दिक्कतें आईं तो व्यापार का प्रभावित होना तो लाजिमी था।
बता दें कि वैश्विक आर्थिक मंदी से पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था ख़राब दौर से गुज़र रही थी। कोरोना वायरस के आने से पहले ही नवंबर महीने में आई अर्थव्यवस्था और रोज़गार पैदा करने में अहम भूमिका निभाने वाले कोर सेक्टर की रिपोर्ट निराश करने वाली थी। सबसे अहम 8 कोर औद्योगिक क्षेत्रों में विकास दर शून्य से नीचे तो रही ही थी, इसके साथ ही यह पहले से भी नीचे चली गई थी। नवंबर से पहले की तिमाही में यह -5.2 प्रतिशत थी तो नवंबर महीने की तिमाही यह और गिर कर -5.8 प्रतिशत पर पहुँच गई थी। सरकार के तमाम दावों के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी। लोगों की नौकरियाँ जा रही थीं। इसी बीच यह कोरोना वायरस ने असर दिखाना शुरू कर दिया और वैश्विक आर्थिक मंदी आ गई।
वैश्विक मंदी के साथ ही कोरोना और लॉकडाउन का यही असर अब भारत के निर्यात पर पड़ता दिख रहा है। वाणिज्य मंत्रालय ने भी यही कहा है। इसने कहा, 'निर्यात में गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक मंदी के कारण हुई है, जो फ़िलहाल कोविड-19 संकट के कारण बढ़ गई है। बाद में आपूर्ति श्रृंखला और माँग में बड़े पैमाने पर व्यवधान उत्पन्न हुए, जिसके परिणामस्वरूप ऑर्डर रद्द हो गए।'
यह जो ताज़ा रिपोर्ट आई है उसमें कहा गया है कि पिछले साल यानी 2019 के मार्च की तुलना में इस साल मार्च महीने में आयरन ओर को छोड़ बाक़ी कर सभी चीजों में नकारात्मक विकास दर दर्ज की गई है। हालाँकि आयरन ओर के मामले में यह वृद्धि दर 58.43 फ़ीसदी दर्ज की गई है।
इसके साथ ही आयात में भी मार्च महीने में क़रीब 28 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अब व्यापार घाटा 11 बिलियन डॉलर से कम होकर 9.76 डॉलर रह गया है। व्यापार घाटा का मतलब है कि जितने का सामान दूसरे देशों को बेचा गया उससे ज़्यादा दूसरे देशों से सामान ख़रीदा गया। व्यापार घाटे में कमी इसलिए दिख रही है क्योंकि देशों के बीच में व्यापार काफ़ी कम हुआ है।