भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सोमवार को 14 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की तारीख 13 नवंबर से बदलकर 20 नवंबर करने की घोषणा की। इनमें सबसे ज्यादा 9 सीटें उत्तर प्रदेश की हैं। इसी वजह से सभी का ध्यान इस घटनाक्रम पर गया है। हालांकि चुनाव आयोग ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि कुछ दलों ने त्यौहारों की वजह से तारीख बदलने की मांग की है।
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क्या उपचुनाव में तारीख का बदलाव का संबंध सिर्फ यूपी से है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक दिन पहले पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। लेकिन चुनाव आयोग ने अगले दिन उपचुनाव की तारीख बदल दी।
चुनाव आयोग ने 48 विधानसभा क्षेत्रों और दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर की तारीख तय की थी। लेकिन बदलाव सिर्फ यूपी, पंजाब और केरल में आने वाली विधानसभा सीटों के लिए किया गया है।
चुनाव आयोग ने सोमवार 4 नवंबर को कहा कि “13 नवंबर, 2024 को उपचुनाव वाले कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मतदान की तारीख में बदलाव के लिए विभिन्न मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों (भाजपा, कांग्रेस, बसपा, रालोद सहित) और कुछ सामाजिक संगठनों से आयोग में ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। उस दिन बड़े पैमाने पर सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों पर विचार करते हुए, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को असुविधा हो सकती है। मतदान के दौरान मतदाताओं की भागीदारी कम हो सकती है। अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव का मतदान 20 नवंबर को होगा।”
चुनाव आयोग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी मतदान की तारीख बदली थी। उस समय भी त्यौहारों का हवाला दिया गया था। सवाल यह है कि चुनाव आयोग मतदान की तारीखें तय करते वक्त क्या राजनीतिक दलों और त्यौहारों के कैलेंडर नहीं देखता। उसने हरियाणा के मामले नहीं देखा और अब उपचुनाव के मामले में नहीं देखा। राज्यों में चुनाव विभाग क्या उसे क्षेत्रीय त्यौहारों के बारे में सूचित नहीं करते। इस देश ने यह भी देखा है कि 2019 में रमज़ान महीने के दौरान भी चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख रखी। देश की सबसे बड़ी अल्पसंख्यक आबादी का ध्यान नहीं रखा गया। जबकि तमाम राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों ने तब आयोग के सामने मांग रखी थी कि तारीख बदल दी जाए। उस समय आयोग ने कहा था कि रमजान के लिए चुनाव प्रक्रिया नहीं रोक सकते।
अगर मौजूदा उपचुनाव सिर्फ त्यौहारों के कारण टाले गए हैं तो फिर राजस्थान में उपचुनाव की तारीख क्यों नहीं बदली गई। राजस्थान में कार्तिक पूर्णिमा के दौरान 12 नवंबर से 15 नवंबर को पुष्कर में लोग स्नान करेंगे, वहां तैयारियां जोरों पर हैं और बहुत बड़ा मेला लगने जा रहा है। लेकिन राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को ही हो रहे हैं। वहां तारीख नहीं बदली गई। उधर, यूपी में कार्तिक पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम पर उपचुनाव की तारीख बदल दी गई है। इसलिए लोगों को यह बदलाव गले नहीं उतर रहा है।
यूपी में मीरापुर, कुंदरकी, ग़ाज़ियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, कटेहरी और मझवां में उपचुनाव की तारीख बदल गई है। खबर है कि बहराइच दंगे की वजह से यह तारीख बदली गई है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बहराइच दंगा भाजपा ने उपचुनाव जीतने के लिए कराया था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यूपी भाजपा के नेताओं ने अपने शीर्ष नेतृत्व को बताया था कि 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का बाहुल्य है और नतीजे सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में नहीं भी जा सकते हैं। सिर्फ गाजियाबाद सीट जीतने को लेकर भरोसा जताया गया था। बहराइच दंगे का नकारात्मक प्रभाव पड़ने की बातें भी कही जा रही हैं। इसलिए भाजपा के दबाव पर चुनाव आयोग ने हरियाणा की तरह तारीख बदल दी। वैसे भी चुनाव आयोग का पक्षपातपूर्ण रवैया धीरे-धीरे सामने आ गया है।
अखिलेश ने बताई तारीख टलने की ये वजह
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव टालने की वजह तलाश ली है। अखिलेश ने एक्स पर लिखा है- टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख़, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी। दरअसल बात ये है कि उप्र में ‘महा-बेरोज़गारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालने वाले थे। जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं। ये भाजपा की पुरानी चाल है : हारेंगे तो टालेंगे।टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी उपचुनाव टालने की वजह के कारणा गिनाते हुए क्रोनॉलजी समझाई है। महुआ ने एक्स पर लिखा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहले बूथ लेवल के मुस्लिम, यादव और कुर्मी अफसरों को हटाया। योगी आदित्यनाथ ने कल पीएम मोदी से मुलाकात की थी और आज (4 नवंबर) को चुनाव आयोग ने तारीख एक हफ्ता आगे कर दी। यानी महुआ मोइत्रा के कहने का आशय यह है कि भाजपा इन उपचुनावों का सामना करने को तैयार नहीं है, इसलिए तारीख आगे बढ़ा दी गई।
सोशल मीडिया पर लोग इस घटनाक्रम को लेकर काफी प्रतिक्रिया दे रहे है। ज्यादातर लोग चुनाव आयोग की मंशा पर शक जता रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग पूरी तौर पर भाजपा के निर्देश पर काम कर रहा है। कांग्रेस, सपा, आरजेडी से जुड़े नेता और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग पूरी तरह से भाजपा के एजेंट के तौर पर बेनकाब हो चुका है। सिर्फ आज का ही घटनाक्रम नहीं, अनगिनत घटनाक्रम इसके उदाहरण हैं।