चुनाव आयोग ने ही साबित किया ममता के चुनाव धोखाधड़ी के आरोप सच: TMC

09:59 pm Mar 02, 2025 | सत्य ब्यूरो

क्या मतदाता सूची में गड़बड़ियों के आरोप पर चुनाव आयोग की सफ़ाई ने ममता बनर्जी के आरोपों को ही साबित किया है? कम से कम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने तो यही दावा किया है। ममता ने पहले आरोप लगाया था कि कई मतदाताओं के पास एक ही चुनावी फोटो पहचान पत्र यानी ईपीआईसी संख्या है। उन्होंने कहा था कि एक से अधिक मतदाताओं की पहचान पत्र संख्या एक कैसे हो सकती है, यह धांधली है। इसी पर चुनाव आयोग ने रविवार को सफ़ाई जारी की। इसने जो सफ़ाई जारी की उसमें भी टीएमसी ने आयोग को फँसा दिया। 

दरअसल, ममता बनर्जी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने एक बयान में साफ़ किया कि ईपीआईसी संख्या में दोहराव का मतलब डुप्लिकेट या नकली मतदाता नहीं है। इसने कहा, 'ईपीआईसी नंबर के बावजूद कोई भी मतदाता अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां वह मतदाता सूची में नामांकित है और कहीं और नहीं।' लेकिन टीएमसी ने चुनाव आयोग के इस बयान को मतदाता सूची में गड़बड़ी का सबूत बता दिया।

टीएमसी ने एक पोस्ट में लिखा, "ईपीआईसी अनुपात का चुनाव धोखाधड़ी! ममता बनर्जी ने चेतावनी दी कि कैसे भाजपा लोकतंत्र का अपहरण कर रही है, और अब चुनाव आयोग का खुद का कबूलनामा उनकी सच्चाई को साबित करता है। राज्यों में डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर? एक 'मैन्युअल त्रुटि' या चुनावों में हेराफेरी करने के लिए बढ़िया से तैयार किया गया घोटाला? उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली में मतदाता सूची में हेराफेरी की और बच निकले। उन्होंने बंगाल में भी यही कोशिश की, लेकिन पकड़े गए।"

इसने कहा, "'तटस्थ' ईसीआई भाजपा के चुनाव-धांधली विभाग में बदल गया है। लोकतंत्र मोदी द्वारा बनाया गया सामान नहीं है, जिसे छेड़छाड़ किया जा सकता है, तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है और बेचा जा सकता है। हम आपको चुनाव को चुराने नहीं देंगे।" 

पार्टी की यह टिप्पणी चुनाव आयोग द्वारा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप को खारिज करने के कुछ समय बाद आई है।

तृणमूल सुप्रीमो ने बीजेपी पर चुनाव आयोग के कथित समर्थन से 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में अन्य राज्यों से नकली मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगाया है।

उन्होंने दावा किया कि पार्टी ने दिल्ली और महाराष्ट्र में जीत हासिल करने के लिए इसी तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया। 27 फरवरी को उन्होंने कहा, 'यह साफ़ है कि बीजेपी चुनाव आयोग के आशीर्वाद से मतदाता सूची में किस तरह से छेड़छाड़ कर रही है।'

ममता ने एक ही ईपीआईसी नंबर वाले कई मतदाताओं का हवाला दिया और टीएमसी नेताओं को मतदाता सूची की जांच करने का निर्देश दिया। शनिवार को कई राज्य मंत्रियों को मतदाता सूचियों की घर-घर जाकर जांच करते देखा गया और ममता ने इस अभ्यास को करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की है।

पश्चिम बंगाल के लिए तृणमूल महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि ममता बनर्जी के आरोपों के बाद ईसीआई 'डैमेज कंट्रोल' मोड में है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'एक ही ईपीआईसी नंबर वाले कई मतदाताओं की साजिश  सामने आने के बाद, अब भारत का चुनाव आयोग डैमेज कंट्रोल में है। कई राज्यों में एक ही मतदाता के नाम की शिकायतों को सही माना गया है। यह कैसे हुआ, इसका कोई साफ़ जवाब नहीं है।'

घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग के आश्वासनों पर भरोसा नहीं करेगी और पार्टी प्रमुख के निर्देशानुसार मतदाता सूची की बूथ आधारित जांच जारी रहेगी। उन्होंने कहा, 'यह बंगाल की धरती है। महाराष्ट्र और दिल्ली की साजिशें इस धरती पर नहीं चलेंगी।'

बीजेपी का क्या आरोप

पहले लगाए गए ममता के आरोपों के बाद बीजेपी भी सक्रिय हो गई। विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्य चुनाव अधिकारी के साथ मुलाक़ात की। शुभेंदु का कहना था कि तृणमूल कांग्रेस ने क़रीब 17 लाख फर्जी वोटरों के नाम सूची में शामिल कराए हैं, उनके नाम हटाए जाने चाहिए। शुभेंदु अधिकारी का सवाल था कि आख़िर किसी बांग्लादेशी नागरिक को राज्य में वोटर कार्ड कैसे मिला है?

चुनाव आयोग को सौंपे पत्र में बीजेपी ने मूल रूप से तीन आरोप लगाए हैं। उनमें कहा गया है कि असली वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। लेकिन मृत लोगों के नाम सूची से नहीं हटाए गए हैं। इसके साथ ही भारी तादाद में फर्जी वोटरों को मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है। पार्टी ने इस मामले में छह लोकसभा केंद्रों की 20 विधानसभा सीटों का ज़िक्र किया है।

तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को निराधार बताया है। पार्टी के नेता फिरहाद हकीम ने कहा है कि ममता बनर्जी ने ठोस सबूतों के साथ आरोप लगाया है। बीजेपी मतदाता सूची में धांधली के ज़रिए विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता पर काबिज होना चाहती है।