वित्त सचिव तुहिन कांत पांडेय माधवी पुरी बुच की जगह मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अगले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होंगे। बुच का तीन साल का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो रहा है।
भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने पांडेय के नाम को सेबी प्रमुख के रूप में मंजूरी दे दी है। उनकी नियुक्ति पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन साल की अवधि के लिए या आगे के आदेश तक, जो भी पहले हो, होगी।
1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पांडेय ने 24 अक्टूबर, 2019 से निवेश और लोक प्रबंधन विभाग (डीपैम) के सचिव के रूप में पांच साल से अधिक समय तक कार्य किया। सितंबर 2023 में उन्हें वित्त सचिव नियुक्त किया गया था। पांडेय ने 9 जनवरी को वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव का पदभार संभाला।
पांडे ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में एमए और यूके से एमबीए किया है। उनका करियर ओडिशा राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों में महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिकाओं में रहा है।
उन्होंने संबलपुर में डीएम, वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया है और स्वास्थ्य, परिवहन और वाणिज्यिक टैक्स जैसे क्षेत्रों में विभिन्न पदों पर कार्य किया है।
पांडेय को एयर इंडिया की रुकी पड़ी बिक्री को पूरा करने का श्रेय दिया जाता है। डीपैम सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वे भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के सार्वजनिक प्रवेश (पब्लिक लिस्टिंग) में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं।
सरकार ने सेबी अध्यक्ष पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, जिसकी अंतिम तिथि 17 फरवरी थी।
- सेबी चेयरमैन को भारत सरकार के सचिव के बराबर वेतन मिलेगा। यह राशि ₹5,62,500 प्रति माह (आवास और कार भत्ते को छोड़कर) है।
विवादित माधबी पुरी बुचमाधबी पुरी बुच का बाजार निगरानी और नियामक सुधारों में ट्रैक रिकॉर्ड विवादित रहा है। अडानी से जुड़ी हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने उनकी छवि को तार-तार कर दिया। हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म अब बंद हो चुकी है। लेकिन उसने अपना काम बंद करते समय आरोपों को वापस नहीं लिया है। देश के प्रमुख विपक्षी कांग्रेस ने इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक उठाया। अडानी सेबी जांच मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा।
सेबी के अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच शुरू करने के एक साल से अधिक समय बाद, अमेरिकी शॉर्ट-सेलर ने पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के स्वामित्व वाली सलाहकार फर्मों से संबंधित हितों के टकराव और आचार संहिता के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए।
विपक्षी दल कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पुरी बुच के निजी निवेश, उनके पूर्व नियोक्ता से कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व और धवल बुच की ब्लैकस्टोन के साथ संबद्धता की जांच की। हालांकि दंपति ने इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन लोक लेखा समिति ने पुरी बुच को तलब किया, हालांकि उनकी अनुपस्थिति के कारण सत्र को स्थगित करना पड़ा।