18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र से पहले सांसदों को लगातार कई तरह के निर्देश दिए जा रहे हैं। ताजा निर्देश यह दिया गया है कि सांसद सदन में किसी भी तरह के पैंफलेट, प्ले कार्ड (तख्तियां) आदि को न बांटें।
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि स्थापित परंपरा के मुताबिक कोई भी लिटरेचर, प्रश्नावली, पैंफलेट, प्रेस नोट, लीफलेट या अन्य कोई प्रकाशित सामग्री स्पीकर की अनुमति के बिना संसद भवन के परिसर में नहीं बांटी जानी चाहिए।
एडवाइजरी में कहा गया है कि संसद भवन के परिसर में प्ले कार्ड पर भी सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया है।हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यूपीए की सरकार के दौरान भी इस तरह के कई सर्कुलर लाए जा चुके हैं।
बता दें कि इससे पहले राज्यसभा के महासचिव की ओर से एक लिखित आदेश में कहा गया था कि सांसद किसी भी तरह के प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास या फिर कोई धार्मिक कार्यक्रम करने के उद्देश्य से संसद भवन के परिसर का इस्तेमाल ना करें। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट कर इस पर तंज कसा था और कहा था कि धरना (डरना) मना है।
उससे पहले लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में कुछ शब्दों को असंसदीय करार दिए जाने को लेकर अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है।
संसद के मॉनसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा की ओर से जारी की गई नई एडवाइजरी को लेकर अच्छा खासा शोरगुल हो सकता है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद आमने-सामने आ सकते हैं।
संसद के अमूमन सभी सत्रों में हंगामा होता रहा है और सांसद तमाम मुद्दों से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर सदन में प्लेकार्ड, पैंफलेट आदि दिखाते रहे हैं। संसद के पिछले कुछ सत्रों में पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों को लेकर अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है। संसद परिसर में सांसद धरना भी देते रहे हैं।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले में ट्वीट कर पूछा है कि साल 2013 और 2014 में सत्ता में कौन था। उन्होंने कहा कि उस वक्त भी संसद में किसी तरह का धरना न देने से जुड़े सर्कुलर जारी किए गए थे।
एनडीटीवी के मुताबिक, राज्यसभा के सूत्रों ने कहा है कि इस तरह के सर्कुलर वक्त-वक्त पर जारी होते रहते हैं और सांसदों को संसद परिसर में किस तरह का व्यवहार करना है, यह बताने के लिए ऐसे सर्कुलर लाए जाते हैं।
असंसदीय शब्दों पर रार
गुरुवार को लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में कुछ शब्दों को असंसदीय करार दिए जाने पर अच्छा-खासा हंगामा हुआ था। विपक्ष के कई नेताओं ने कहा था कि वे इन शब्दों का इस्तेमाल जरूर करेंगे।
विवाद होने के बाद लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने स्पष्टीकरण दिया था और कहा था कि सभी सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं और संसद में किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा था कि विचारों की अभिव्यक्ति संसद की मर्यादा के अनुसार होनी चाहिए।