गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा की 6 और लोकसभा की एक सीट के नतीजों को लेकर भी गुरुवार को सियासी माहौल गर्म रहा। लोकसभा सीट में उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट शामिल रही जबकि विधानसभा सीटों में उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर और खतौली, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुढ़नी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट का नाम है।
मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव ने बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को 2,40,322 मतों के अंतर से हरा दिया। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई थी। इस सीट पर कमल खिलाने के लिए उत्तर प्रदेश बीजेपी के तमाम नेताओं ने पूरा जोर लगाया लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी।
बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य
मैनपुरी लोकसभा सीट की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव 2022 में विधानसभा का चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इस सीट पर आने वाली 5 विधानसभा सीटों में से 2 बीजेपी के पास हैं इसलिए बीजेपी भी यहां चुनावी लड़ाई में कमजोर नहीं थी लेकिन उसे करारी हार मिली है।
रामपुर
उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीट रामपुर पर हालांकि बीजेपी ने जीत हासिल की और यहां से बीजेपी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आसिम राजा को 34,112 वोटों से हरा दिया। कुछ महीने पहले हुए रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी। तब बीजेपी के उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी ने सपा उम्मीदवार आसिम राजा को चुनाव हराया था।
बताना होगा कि साल 1977 के बाद यह पहला मौका था जब आज़म खान या उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरा था।
बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना।
रामपुर विधानसभा सीट को उत्तर प्रदेश में मोहम्मद आज़म खान के सियासी कद की वजह से जाना जाता है। आज़म खान 10 बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं। लेकिन अब उनका यह किला ढह गया है।
खतौली
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खतौली विधानसभा सीट पर सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार मदन भैया को जीत मिली है। मदन भैया ने यहां से बीजेपी की उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को शिकस्त दी है। राजकुमारी सैनी पूर्व विधायक विक्रम सैनी की पत्नी हैं। विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर दंगों के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। खतौली में जीत हासिल करने के लिए रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने पूरा जोर लगाया जबकि बीजेपी ने भी अपने तमाम नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा था।
कुढ़नी
कुढ़नी सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता ने जेडीयू के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा को 3,645 मतों से हराया। यह सीट बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पड़ती है। यह सीट आरजेडी के विधायक अनिल कुमार सहनी को अयोग्य ठहराए जाने की वजह से खाली हुई थी। यहां से एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा और वीआईपी पार्टी के नीलाभ कुमार भी चुनाव मैदान में थे।
इससे पहले गोपालगंज और मोकामा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी और महागठबंधन को एक-एक सीट मिली थी। इस साल अगस्त में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन का हाथ पकड़ लिया था।
सरदारशहर
सरदारशहर सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अनिल कुमार शर्मा को 26 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत मिली है। यह सीट विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी। अनिल कुमार शर्मा भंवरलाल शर्मा के बेटे हैं। बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक अशोक कुमार को चुनाव लड़ाया था। राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच चल रहे सियासी विवाद के बीच इस उपचुनाव में कांग्रेस को मिली जीत को बेहद अहम माना जा रहा है।
भानुप्रतापपुर
छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट कांग्रेस के विधायक मनोज सिंह मंडावी के आकस्मिक निधन की वजह से खाली हुई थी। कांग्रेस ने यहां से मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी जबकि बीजेपी ने पूर्व विधायक ब्रह्मानंद नेताम को चुनाव मैदान में उतारा था। सावित्री मंडावी ने ब्रह्मानंद नेताम को 21,171 वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया। इस सीट पर जीत के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जबकि बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह सहित तमाम नेताओं ने पूरी ताकत झोंकी थी। छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
पदमपुर
बीजेडी के विधायक बिजया रंजन सिंह बरिहा का अक्टूबर में निधन होने की वजह से यहां उपचुनाव कराना पड़ा था। बीजेपी ने यहां से प्रदीप पुरोहित को चुनाव मैदान में उतारा था जबकि जबकि राज्य में सरकार चला रही बीजेडी ने बिजया रंजन सिंह बरिहा की बेटी बरसा सिंह बरिहा को चुनाव लड़ाया था। बरसा सिंह बरिहा ने प्रदीप पुरोहित को 42 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव हराया है।