+
उत्तराखंड धर्म संसद जैसे आयोजन होंगे पूरे देश में, कमेटी बनी

उत्तराखंड धर्म संसद जैसे आयोजन होंगे पूरे देश में, कमेटी बनी

हरिद्वार धर्म संसद जैसे आयोजन पूरे देश में करने की धमकी पर क्यों चुप है पुलिस, धर्म संसद के आयोजकों को किसका समर्थन हासिल है?

क्या हरिद्वार में हुआ धर्म संसद, जिसमें मुसलमानों को निशाने पर लिया गया और हिन्दुओं से हथियार उठाने की अपील की गई, एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया था? क्या इन धमकियों को सच्चाई में बदलने और पूरे देश में हिंसा और समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत का माहौल बनाने की तैयारियाँ चल रही हैं?

ये सवाल इसलिए उठते हैं कि धर्म संसद के आयोजकों ने मंगलवार को एक बार फिर बैठक की और 21 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया गया, जिसे पूरे देश में ऐसे धर्म संसद आयोजित करने और उसके एजेंडे को लागू करने की ज़िम्मेदारी दी गई।

धर्म संसद के लिए कमेटी

हरिद्वार के सांबवी आश्रम में हुई इस बैठक में वसीम रिज़वी से हिन्दू बने जीतेंद्र त्यागी, साध्वी अन्नपूर्णा, ग़ाज़ियाबाद स्थित डासना मंदिर के प्रमुख पुरोहित यति नरसिंहानद और हिन्दू रक्षा सेना के स्वामी प्रबोधानन्द भी मौजूद थे। 

इन लोगों ने पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की कसमें खाईं। 

स्वामी  प्रबोधानंद ने कहा, 

सोशल मीडिया पर हमें गालियाँ दी जा रही हैं, पर हम नकली साधु नहीं हैं। जिन लोगों ने धर्म संसद में भाग लिया है वे किसी न किसी अखाड़े या धार्मिक संगठन से जुड़े हुए हैं। हमने पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम करने और अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए एक कोर कमेटी बनाई है।


स्वामी प्रबोधानंद, प्रमुख, हिन्दू रक्षा सेना

क्या कहना है पुलिस का?

धर्म संसद ने पुलिस से सहयोग करने के बजाय एक उलट एफ़आईआर दर्ज कराया है। 

हरिद्वार के थाना प्रभारी रकेंद्र सिंह ठकैत ने कहा, 

हमने मंगलवार को हुए कार्यक्रम में भाग लेने वाले दो अभियुक्तों को नोटिस जारी किया है, इसमें और लोगों के नाम जोड़े जाएंगे।


रकेंद्र सिंह ठकैत. थाना प्रभारी, हरिद्वार

क्या है मामला?

बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 से 18 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद में भड़काऊ बातें कही गईं और मुसलमानों को निशाने पर लिया गया। इस मामले में अब तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है। 

याद दिला दें कि इस धर्म संसद और उसमें कही गई  बातों पर भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में तीखी प्रतिक्रियाएँ हुईं। 

तीखी प्रतिक्रियाएँ

पूर्व नेवी चीफ़ रिटायर्ड अरुण प्रकाश ने धर्म संसद को लेकर सवाल पूछा कि क्या हम सांप्रदायिक खूनी खेल खेलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है। अरुण प्रकाश 1971 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हुई जंग के हीरो रहे हैं। उनके इस बयान के समर्थन में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी. पी. मलिक भी आगे आए हैं। 

मलिक ने कहा कि इस तरह के भाषण सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डालते हैं। मलिक ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। मलिक 1999 में कारगिल युद्ध के वक़्त सेना के प्रमुख थे। 

अमेरिका की टेनिस स्टार रहीं मार्टिना नवरातोलिया ने धर्म संसद के कार्यक्रम का वीडियो रीट्वीट करते हुए लिखा, 'ये क्या हो रहा है?' इस वीडियो को बाइलाइन टाइम्स के पत्रकार सी जे वार्ल्मन ने ट्वीट किया था। 

एशिया प्रोग्राम के उप निदेशक माइकल कुगेलमन ने ट्वीट कर लिखा है कि भारत में तीन दिन तक चले एक कार्यक्रम में भड़काऊ बयानबाज़ी की गई और सरकार इस पर पूरी तरह चुप है। 

 - Satya Hindi

राजनयिक विरोध

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजनयिक प्रभारी को बुला कर कड़ा विरोध पत्र दिया था। सबसे गंभीर बात तो यह है कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के ख़िलाफ़ गोलबंद करने और भारत को अलग-थलग करने की कोशिश की है। उसने भारत पर मुसलमानों के नरसंहार का आरोप भी लगाया है। यह आरोप उस देश पर लग रहा है जहाँ इंडोनेशिया के बाद मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। 

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, "पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से माँग करता है कि वह अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ लगातार और व्यवस्थित तरीक़े से जारी मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए भारत को जवाबदेह ठहराए। साथ ही नज़दीक आ चुके नरसंहार से बचने के लिए तुरंत क़दम उठाए।"

इसके बावजूद दस दिन बीत जाने के बाद भी अब तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है। इसके उलट धर्म संसद के आयोजकों ने पूरे देश में ऐसे ही कार्यक्रम करने की धमकी दी है। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें