महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने की चर्चाओं के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार को डिप्टी सीएम के पद की शपथ दिला दी है।
शपथ लेने के बाद फडणवीस ने कहा कि लोगों ने हमें स्पष्ट जनादेश दिया है लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना ने अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन करने की कोशिश की थी और इस वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था। फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार की ज़रूरत थी न कि खिचड़ी सरकार की।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं और ये दोनों ही दल आसानी से राज्य में सरकार बना सकते थे। लेकिन शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर अड़ जाने को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। शिवसेना का कहना था कि 50:50 के फ़ॉर्मूले के तहत उसे राज्य में ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के लिए तैयार नहीं थी। इस मुद्दे पर शिवसेना ने बीजेपी और एनडीए से नाता तोड़ लिया था।
बीजेपी-एनसीपी की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने में कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी क्योंकि 288 सदस्यों वाली राज्य की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सदस्यों की ज़रूरत है और दोनों ही दलों के विधायकों का कुल योग 159 बैठता है। इसके अलावा बीजेपी के पास कुछ निर्दलीय विधायकों और छोटी पार्टियों का भी समर्थन है।
बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने से राजनीतिक जानकारों को ख़ासी हैरानी ज़रूर हुई है क्योंकि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी थी और यह माना जा रहा था कि शनिवार को तीनों दल मिलकर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे और इसमें सरकार बनने की जानकारी देंगे लेकिन उससे पहले ही यह सियासी उलटफेर हो गया।