कोरोना: कहाँ ग़ायब हैं तब्लीग़ी जमात के प्रमुख मौलाना साद?

04:29 pm Apr 02, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

तब्लीग़ी जमात के मरकज़ निज़ामुद्दीन में कार्यक्रम को लेकर हंगामा मचा है, लेकिन इस जमात के मुखिया मौलाना साद का कुछ भी अता-पता नहीं है। उनका पता होना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि नियमों के ख़िलाफ़ कार्यक्रम करने के लिए साद सहित सात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। यह इसलिए भी ज़रूरी है कि जिस जमात के वह मुखिया हैं उसके कार्यक्रम में हज़ारों लोग शामिल हुए थे, उनमें से क़रीब 300 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है और ये लोग देश के अपने-अपने राज्यों में जा चुके हैं। 

तब्लीग़ी जमात का यह कार्यक्रम तब हुआ जब पूरी दुनिया में तो यह फैल ही रहा था, भारत में भी यह जड़ें जमा रहा था। दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही 200 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठे होने पर पाबंदी भी लगा थी जिस दिन यह कार्यक्रम शुरू हुआ था। अब मामला सामने आने के बाद 2000 से ज़्यादा लोगों को तब्लीग़ी जमात के मुख्यालय मरकज़ निज़ामुद्दीन से बाहर निकाला जा चुका है। 

दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर में मौलाना साद के अलावा, ज़ीशन, मुफ्ती शहज़ाद, एम सैफ़ी, युनूस, मुहम्मद सलमान और मुहमद अशरफ के नाम शामिल हैं। उनके ख़िलाफ़ महामारी बीमारी क़ानून के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है। एफ़आईआर में कहा गया है कि ये सातों ही लोगों को इकट्ठा करने के लिए ज़िम्मेदार थे और उन्होंने ही बाहर से आने वाले लोगों को बिल्डिंग में रहने की इजाज़त दी थी वह भी तब जब 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के दिन ही उनको नोटिस दिया गया था। 

बता दें कि मौलाना साद का संगठन इस बात पर ज़ोर देता रहा है कि इसलाम के 'मूल की ओर लौटा जाए'। कुछ लोग तब्लीग़ी जमात के इस नज़रिये को कट्टरवाद मानते हैं। पैगंबर मुहम्मद के समय में जिस तरह से मुसलमान रहते थे, जमात उसे दोहराने की कोशिश करती है। जमात के लोग उस तरह से कपड़े पहनते हैं, जैसा कि मुसलमान तब करते थे- पुरुष एक निश्चित लंबाई की दाढ़ी रखते हैं, और वे टूथब्रश के बजाय मिसवाक का उपयोग करते हैं।

तब्लीग़ी जमात मौलानाओं का एक समूह है जिसकी शुरुआत 1926 में मेवात क्षेत्र में हुई थी। इसलाम के जानकार मौलाना मुहम्मद इलियास ने इसको शुरू किया था। मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कांधलवी है। साद तब्लीग़ी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कांधलवी के पड़पोते हैं।

इन्हीं मौलाना साद के बारे में मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि वह ग़ायब हैं और उन्हें आख़िरी बार शनिवार को तब देखा गया था जब कोरोना वायरस पॉजिटिव मामले आने शुरू हुए थे। 

अब पुलिस की एफ़आईआर दर्ज होने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनकी मुश्किलें तो और भी बढ़ सकती हैं क्योंकि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच उस एक ऑडियो टेप की जाँच कर रही है जिसकी आँच उन तक पहुँच सकती है। दिल्ली मरकज यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए इस ऑडियो में उपदेश हैं। इसमें अपदेशक कहता है कि सरकार द्वारा दी गई सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह को मानने की ज़रूरत नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस की चेतावनी 'अपने मुसलिम भाइयों को मुसलिमों को दूर रखने की साज़िश है'। 

इस ऑडियो उपदेश में कहा गया है, '...यह ईश्वर से तपस्या करने का मौक़ा है। ऐसा अवसर नहीं जहाँ डॉक्टरों के प्रभाव में आया जाए और नमाज को रोक दिया जाए, एक-दूसरे से मिलना बंद कर दिया जाए... हाँ, एक वायरस है। लेकिन 70,000 फरिश्ते मेरे साथ हैं और अगर वे मुझे नहीं बचा सकते हैं, तो कौन बचाएगा यही वह समय है जब और अधिक ऐसे समारोह किए जाएँ, न कि एक-दूसरे से बचने का... कौन कहता है कि अगर हम मिलते हैं तो बीमारी फैल जाएगी'

कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि यह मौलाना साद की आवाज़ है। हालाँकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। अब पुलिस इसकी जाँच कर रही है तो इसके बाद ही सचाई का पता चल पाएगा।