दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का पूरा जोर दो बातों पर है। पहला, पूरे चुनाव को शाहीन बाग़ के धरने तक समेटने की कोशिश करना और दूसरा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगातार जुबानी हमले करना। पिछले कई महीने से दिल्ली बीजेपी के नेता अरविंद केजरीवाल को शिक्षा, स्वास्थ्य के लिये किये गये कामों को लेकर घेर रहे थे, लेकिन शायद उन्हें यह लगने लगा है कि इससे उन्हें जनता के बीच समर्थन नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद बीजेपी के नेताओं ने शाहीन बाग़ को लेकर धुआंधार बयान दिये और अब केजरीवाल को निशाने पर ले लिया है।
ख़बरों के मुताबिक़, पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने बुधवार को दिल्ली की मादीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करते हुए एक जनसभा में कहा, ‘दिल्ली में कई नटवरलाल और केजरीवाल जैसे आतंकवादी छुपे बैठे हैं। मुझे नहीं समझ आ रहा कि हमें कश्मीर के आतंकवादियों से लड़ना चाहिए या दिल्ली में केजरीवाल जैसे आतंकवादियों से।’
वर्मा के बयान पर अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को पलटवार किया। केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा, ‘मैंने पिछले पाँच सालों में दिल्लीवालों का बेटा बनकर उनके परिवार की जिम्मेदारी उठाने की कोशिश की है, आज मैं यह निर्णय दिल्ली के लोगों के ऊपर छोड़ता हूं कि वे मुझे अपना बेटा मानते हैं, भाई मानते हैं या आतंकवादी मानते हैं।’ केजरीवाल ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि इन लोगों ने उन्हें 5 साल तक परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मौजूद पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग को प्रवेश वर्मा, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी और अन्य नेताओं के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।
वर्मा के इस बयान पर आम आदमी पार्टी (आप) भड़क गई और उसने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से वर्मा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने की मांग की है। बुधवार को ही चुनाव आयोग ने बीजेपी से प्रवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर करने के लिये कहा था। अनुराग ठाकुर ने एक चुनावी जनसभा में ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो… को’ का नारा लगवाया था जबकि वर्मा ने शाहीन बाग़ के धरने को लेकर, ‘ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों से रेप करेंगे’ का बयान दिया था।
वर्मा के बयान के बाद ‘आप’ के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी पर हमला बोला और कहा कि केजरीवाल दिल्ली के बेटे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के 2 करोड़ परिवार केजरीवाल को आतंकवादी कहने वाली बीजेपी को 8 फ़रवरी को सबक़ सिखायेंगे।
केजरीवाल ने भी वर्मा की इस टिप्पणी को लेकर दुख जतायाा और ट्वीट कर कहा, ‘पांच साल दिन-रात मेहनत कर के दिल्ली के लिए काम किया। दिल्ली के लोगों के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। राजनीति में आने के बाद बहुत कठिनाइयों का सामना किया ताकि लोगों का जीवन बेहतर कर सकूं। बदले में आज मुझे भारतीय जनता पार्टी आतंकवादी कह रही है...बहुत दुख होता है।’
‘आप’ ने शिकायत में कहा है कि अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रविरोधी ताक़तों के साथ तुलना करके प्रवेश वर्मा ने उनकी छवि को नुक़सान पहुंचाया है। ‘आप’ की ओर से कहा गया है कि यह आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।
प्रवेश वर्मा ने दी सफाई
बयान पर विवाद बढ़ने के बाद प्रवेश वर्मा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। वर्मा ने कहा, ‘मैंने अरविंद केजरीवाल को नटवरलाल सिर्फ़ उनके झूठ बोलने के लिए कहा था। मैंने उन्हें नक्सल इसलिए कहा था कि क्योंकि उन्होंने गणतंत्र दिवस की परेड को रोकने के लिये धरना दिया था और वह दिल्ली में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वालों का समर्थन करते हैं।’ वर्मा ने कहा कि आप के संयोजक केजरीवाल ड्रामा करने में माहिर हैं। वर्मा इससे पहले कई बार केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शाहीन बाग़ के धरने को समर्थन देने का आरोप लगा चुके हैं। वर्मा ने यह भी दावा किया था कि उन्हें किसी अज्ञात व्यक्ति की ओर से धमकी मिली थी।
शाहीन बाग़ को लेकर प्रवेश वर्मा का बयान हो, अनुराग ठाकुर का बयान हो या दिल्ली में पाकिस्तान और हिंदुस्तान का मुक़ाबला होने की बात कहने वाले कपिल मिश्रा का बयान हो, इनके ख़िलाफ़ चुनाव आयोग की कार्रवाई से यह भरोसा पैदा नहीं होता कि बीजेपी के नेता आगे ऐसे बयानों से परहेज करेंगे। क्योंकि इसके बाद भी बीजेपी के नेता लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण हो।
चुनाव आयोग पर उठे थे सवाल
लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार के दौरान चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के ख़िलाफ़ कई शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। लेकिन चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं को सभी मामलों में ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। आयोग के इस रवैये की काफ़ी आलोचना हुई थी। तब यह बात भी चर्चा में रही थी कि मोदी और शाह को ‘क्लीन चिट’ चुनाव आयुक्तों की आम सहमति से नहीं दी गई थी और एक चुनाव आयुक्त की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ऐसा किया गया था। चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को चिट्ठी लिख कर इस बात पर असंतोष जताया था कि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार करने वाली बैठकों में उनकी असहमतियों को दर्ज नहीं किया जाता है। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल खड़े किये थे।
2015 में भी की थी कोशिश
याद करिये, 2015 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने केजरीवाल को ‘अराजक’ और ‘नक्सली’ साबित करने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केजरीवाल पर निजी हमले करते हुए कहा था कि इन्हें जंगल में भेज देना चाहिए। बीजेपी ने अख़बार में विज्ञापन देकर यह भी कहा था कि केजरीवाल का गोत्र उपद्रवी है। वैसी ही कोशिश बीजेपी इस बार भी कर रही है। उसके नेता मुख्यमंत्री पद संभाल रहे व्यक्ति के ख़िलाफ़ जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे साफ़ पता चलता है कि वे हताश हो गए हैं। पिछली बार वह सिर्फ़ 3 सीटों पर सिमट गई थी।