एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत तो मिल गई लेकिन यह जीत वैसी नहीं रही जैसी उम्मीद उसने की थी। साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली में प्रचंड जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी कि इस बार वह दिल्ली के 250 में से 200 से ज्यादा वार्ड में जीत हासिल करेगी लेकिन एक वक्त में उसके लिए बहुमत जुटाना ही मुश्किल हो गया था और आखिरकार वह 134 के आंकड़े पर आकर रुक गई जो बहुमत के लिए जरूरी 126 के आंकड़े से थोड़ा सा ही ज्यादा है।
ऐसा क्यों हुआ, इस पर बात करते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह बीजेपी द्वारा पिछले कुछ महीनों में अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रियों के खिलाफ जोरदार ढंग से मोर्चा खोलना है।
केजरीवाल सरकार द्वारा लाई गई और फिर वापस ली गई आबकारी नीति में हुए कथित भ्रष्टाचार को बीजेपी ने जोर-शोर से मुद्दा बनाया।
इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी और सीबीआई ने भी बड़े पैमाने पर छापेमारी की और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबियों को भी गिरफ्तार किया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि सिसोदिया ने करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है।
आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पिछले 5 महीने से जेल में हैं। बीजेपी ने बीते दिनों उनके तिहाड़ जेल के अंदर से एक के बाद एक वीडियो जारी किए थे। सत्येंद्र जैन का तिहाड़ में बलात्कार के आरोपी एक अभियुक्त से मसाज कराते हुए वीडियो भी सामने आया।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर लगातार आरोप लगाया था कि वह पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और उसके तमाम मंत्री और नेता भ्रष्टाचार में शामिल हैं।
एक के बाद एक स्टिंग
एमसीडी चुनाव का ऐलान होने के बाद बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर जोरदार हमले शुरू कर दिए। आम आदमी पार्टी के विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के रिश्तेदारों के मोटी रकम के साथ पकड़े जाने का वीडियो सामने आया तो बीजेपी ने अपने हमलों को तीखा कर दिया।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी की नेता बिंदू श्रीराम की ओर से जारी किए गए स्टिंग के जरिये दावा किया कि आम आदमी पार्टी ने एमसीडी के चुनाव में लाखों रुपए में टिकट बेचे हैं।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकेश गोयल का कथित स्टिंग वीडियो जारी कर कहा था कि मुकेश गोयल एक जूनियर इंजीनियर से रिश्वत मांग रहे हैं। इतने सारे स्टिंग और ताबड़तोड़ वीडियो के बाद निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें एमसीडी के चुनाव में बहुत ज्यादा बढ़ गई थी।
हालांकि अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि शराब घोटाले में कुछ नहीं मिला, बस घोटाले की बात कही गई बस घोटाले में भी कुछ नहीं मिला, इसी तरह सड़क घोटाले में भी कुछ नहीं मिला।
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के द्वारा दिलाई गईं 22 प्रतिज्ञाओं वाले वायरल वीडियो को भी बीजेपी ने मुद्दा बना लिया था। बीजेपी ने कहा था कि राजेंद्र पाल गौतम ने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया है।
मंत्रियों की सीटों पर हार
बीजेपी के द्वारा कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने की वजह से ही शायद आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन के विधानसभा क्षेत्र शकूरबस्ती में तीनों वार्ड पर आम आदमी पार्टी को हार मिली और बीजेपी को जीत मिली है। इसी तरह उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की विधानसभा सीट पटपड़गंज के 4 में से 3 वार्डों पर बीजेपी को जीत मिली है। कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत की विधानसभा सीट नजफगढ़ में भी 4 में से 3 वार्डों पर बीजेपी को जीत मिली है। कैलाश गहलोत पर भी बीजेपी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
बीजेपी का तर्क है कि आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार की वजह से उसके मंत्रियों की सीटों वाले वार्डों तक में उसके उम्मीदवारों को हार मिली है जबकि 15 साल तक लगातार सत्ता में रहने के बाद पैदा हुई एंटी इन्कम्बेन्सी के बाद भी उसने अच्छा प्रदर्शन किया है।
आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी कि एमसीडी में उसका प्रदर्शन अच्छा रहेगा लेकिन बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर एक के बाद एक जोरदार हमले कर उसे बैकफुट पर जरूर ला दिया था और कहीं ना कहीं इसका असर आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा और वह उम्मीद के मुताबिक जीत हासिल नहीं कर सकी।
वोट शेयर बढ़ा
हालांकि आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में पिछले एमसीडी चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। 2017 में एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 26 फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार उसे 42 फीसद से ज्यादा वोट मिले हैं। पिछली बार उसे 48 सीटें मिली थी जबकि इस बार वह 134 वार्ड में जीत हासिल करने में कामयाब रही है। पिछली बार 272 वार्ड के लिए एमसीडी का चुनाव हुआ था।
हालांकि तुलना 2020 के विधानसभा चुनाव से करें तो यह काफी कम हुआ है। 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54 फीसद वोट मिले थे।
बीजेपी को मिले ज्यादा वोट
चुनाव नतीजों का एक अहम पहलू यह भी है कि हालांकि बीजेपी को चुनाव में हार मिली है लेकिन उसका वोट शेयर कम नहीं हुआ है। उसने इस छोटे चुनाव में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्री और संगठन के बड़े नेताओं को उतारा था।
2017 के एमसीडी चुनाव में बीजेपी को 36 फीसद वोट मिले थे लेकिन इस बार वह 39 फीसद वोट हासिल करने में कामयाब रही।
कांग्रेस का खराब प्रदर्शन
कांग्रेस को एमसीडी की चुनावी लड़ाई से पहले से ही बाहर माना जा रहा था और ऐसा ही हुआ। कांग्रेस को एमसीडी के चुनाव में सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली है जबकि साल 2017 के चुनाव में उसे 30 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार उसे सिर्फ 12 फीसद वोट हासिल हुए हैं जबकि पिछली बार उसने 21 फीसद वोट हासिल किए थे। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में वह दिल्ली में खाता भी नहीं खोल सकी थी और 2020 के विधानसभा चुनाव में तो अधिकतर सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी।
बीजेपी-आप में सिमटी लड़ाई
एमसीडी के चुनाव नतीजों से यह भी पता चलता है कि दिल्ली में अब पूरी लड़ाई बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही सिमट कर रह गई है। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में और 2025 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिलेगा, यह तय है।