जेएनयू में रविवार शाम यानी पाँच जनवरी को हिंसा के दौरान वीडियो में दिखी मास्क लगाई लड़की की पहचान का दावा किया गया है। हालाँकि ऐसा दावा सोशल मीडिया पर काफ़ी पहले से ही किया जा रहा है, लेकिन अब ख़बरों, वीडियो और दूसरे तथ्यों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट ने इसकी पड़ताल की है। इसमें वह लड़की एबीवीपी की एक कार्यकर्ता बताई गई है। यह पड़ताल पुलिस द्वारा किए गए दावों के उलट है। जेएनयू हिंसा की जाँच के लिए बनाई गई एसआईटी ने शुक्रवार को ही जो कहा है उसमें अधिकतर वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्र संगठनों और उनके कार्यकर्ताओं का नाम लिया गया है। इसने न तो एबीवीपी का ज़िक्र किया है और न ही उस नक़ाबपोश लड़की के बारे में।
बता दें कि जेएनयू में तब दर्जनों नक़ाबपोश लोगों ने कैंपस में छात्रों और अध्यापकों पर हमला कर दिया था। इसमें विश्वविद्यालय की छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। इस हमले में घायल कम से कम 34 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। तब छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा था कि 'मास्क पहने गुंडों द्वारा मुझ पर घातक हमला किया गया। मेरी बुरी तरह पिटाई की गई।' नक़ाबपोशों ने तीन घंटे तक क़हर मचाया था। इन नक़ाबपोशों का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कई नक़ाबपोश लोगों के बीच एक लड़की भी मास्क लगाए दिख रही है।
तब सोशल मीडिया पर कई लोगों ने दावा किया था कि यह लड़की दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा कोमल है और वह एबीवीपी की छात्रा है। अलग-अलग लोगों ने ऐसे ही दावे किए।
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने दावा किया कि नक़ाबपोशों में से एक का नाम कोमल शर्मा है जो आरएसएस से जुड़े एबीवीपी के दिल्ली विश्वविद्यालय एबीवीपी की सदस्य है।
इसी की पड़ताल ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने की है। इसके अनुसार ऐसा ही दावा एक इंस्टाग्राम पोस्ट में भी किया गया। अनुजा ठाकुर नाम के यूज़र ने इंस्टाग्राम पर कोमल शर्मा नाम की लड़की से बातचीत की एक स्क्रीन रिकॉर्डिंग पोस्ट की। कोमल शर्मा का यूज़र नाम '26_saravashisth' था। ठाकुर ने दावा किया कि यह बातचीत कोमल शर्मा के साथ थी जिन पर आरोप है कि वह उस हिंसा करने वाली भीड़ का हिस्सा थीं। स्क्रीन रिकॉर्डिंग में शर्मा ख़ुद के जेएनयू कैंपस में मौजूद होने की पुष्टि कर रही हैं। हालाँकि अब '26_saravashisth' नाम का यूज़र इंस्टाग्राम पर मौजूद नहीं है क्योंकि या तो इस एकाउंट को डिलीट कर दिया गया है या फिर डिएक्टिवेट कर दिया गया है।
अपने पोस्ट में ठाकुर दावा करती हैं कि "कोमल शर्मा एबीवीपी की छात्र कार्यकर्ता मेरे कॉलेज में जूनियर थी और स्कूल में भी। यह पक्का करने के लिए कि वह जेएनयू में थी या नहीं, मैंने बीती रात उससे अप्रत्यक्ष रूप से यूँ ही पूछ लिया- 'मैंने तुम्हें आज मुनिरका में देखा' और 'क्या उसने लाल और उजली चेक शर्ट पहन रखी थी' और उसने मेरे सभी सवालों को स्वीकार कर लिया...।" ठाकुर ने अपने पोस्ट में उस बातचीत का ऑडियो भी दिया है जिसमें वह यह कहती सुनी जा सकती हैं 'दीदी, कृपया किसी को मत बताना'। ठाकुर यह भी दावा करती हैं कि यह रिकॉर्डिंग क़ानूनी सबूत भी हो सकती है कि तसवीर में दिखने वाली यह लड़की ही जेएनयू कैंपस में थी। 'ऑल्ट न्यूज़' से बातचीत में ठाकुर ने इस पर ज़ोर दिया कि उन्होंने इंस्टाग्राम एकाउंट से उससे बातचीत की थी।
अनुजा ठाकुर के भाई अपूर्व ठाकुर ने भी इसे अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट किया। उन्होंने उस अतिरिक्त जानकारी को पोस्ट किया है जिसमें कोमल शर्मा अनुजा ठाकुर के उस सवाल का जवाब दे रही हैं जिसमें पूछा गया था कि वह क्यों सोशल मीडिया पर चर्चा का मुद्दा बन गई हैं। उसके जवाब में कोमल शर्मा ने उन वायरल तसवीरों को भेजा जिन्हें माना जाता है कि कोमल शर्मा की हैं।
ऑल्ट न्यूज़
जब ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने '26_saravashisth' की पड़ताल की तो पाया कि वीडियो में दिख रहे इंस्टाग्राम एकाउंट में एबीवीपी एक्टिविस्ट कोमल शर्मा लिखा हुआ है। इस एकाउंट के अर्काइव्ड वर्जन से प्रोफ़ाइल का पता चला।
इंस्टाग्राम हैंडल, वीडियो में दिखने वाले प्रोफ़ाइल पिक्चर और इंस्टाग्राम के अर्काइव्ड वर्ज़न के स्क्रीनशॉट।ऑल्ट न्यूज़
कोमल शर्मा एबीवीपी के नाम से कोमल शर्मा का फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल भी फ़िलहाल पहुँच से दूर है। हालाँकि उनका पुराना फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल और ट्विटर हैंडल (Sara Vashisth) है जो इंस्टाग्राम पर भी यही नाम दिखाता है। ये दोनों एकाउंट एक साल पहले अस्तित्व में थे और इसके प्रोफ़ाइल पिक्चर में कोमल शर्मा की तसवीरें थीं। फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल के मामले में प्रोफ़ाइल पिक्चर जुलाई 2017 का है।
ऑल्ट न्यूज़
कोमल शर्मा ने एबीवीपी सदस्य भरत शर्मा के समर्थन में भी एक ट्वीट किया था। यह ट्वीट 18 दिसंबर 2019 का था।
इन सबूतों के आधार पर 'ऑल्ट न्यूज़' ने यह निष्कर्ष निकाला कि जेएनयू कैंपस वाले वायरल वीडियो में नकाब में दिख रही लड़की एबीवीपी की एक्टविस्ट कोमल शर्मा हैं।
बता दें कि शुक्रवार को ही ‘इंडिया टुडे’ ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया है जिसमें कई एबीवीपी के एक्टिविस्ट साफ़ बोलते हुए देखे जा सकते हैं कि यह हिंसा उन्होंने की थी और उन्होंने एबीवीपी के लोगों को इकट्ठा किया था।
लेकिन इस हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। शुक्रवार को भी एसआईटी ने यही बात कही। लेकिन सवाल है कि पुलिस को जाँच में एबीवीपी के ख़िलाफ़ ये सबूत क्यों नहीं मिल रहे हैं