बारिश के बाद प्रदूषण से कुछ राहत मिली थी, लेकिन दिवाली के अगले ही दिन हवा बेहद ज़हरीली हो गई। प्रदूषण बेतहाशा बढ़ा। फेफड़ों को प्रभावित करने वाला प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम2.5 एक दिन में 140% बढ़ गया। ऐसा तब हुआ जब दिवाली की रात ख़ूब पटाखे छोड़े गए।
पटाखे छोड़े जाने पर प्रदूषण के ख़तरनाक स्तर तक पहुँचने की आशँका पहले से ही थी और इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध भी लगा रखा था। लेकिन 12 नवंबर को दीपावली मनाने के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में पटाखों पर प्रतिबंध का उल्लंघन किया गया। क़रीब डेढ़-दो बजे रात तक कई इलाकों में पटाखों की आवाज़ सुनी गई। हालाँकि, यह पिछले साल की तुलना में कम थी।
दिल्ली के क़रीब-क़रीब हर क्षेत्र में ऐसी ही स्थिति थी। ऐसा तब है जब अदालत ने पटाखों पर प्रतिबंध था। सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को कहा था कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का उसका आदेश हर राज्य को बाध्य करता है और यह केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तक सीमित नहीं है, जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है। शीर्ष अदालत पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक लंबित याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद भी पटाखे इतने फोड़े गए कि प्रदूषण का स्तर काफ़ी ज़्यादा बढ़ गया। पीएम2.5 में 24 घंटे में 140% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। हवा में मौजूद सभी कणों में सबसे हानिकारक पीएम2.5 सुबह 7 बजे प्रति घंटे औसतन 200.8 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन पहले इसी समय यह 83.5 था।
सोमवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 500 से ऊपर रहा। कुछ स्थानों पर यह 900 तक पहुँच गया। एक्यूआई के अनुसार, सुबह 6 बजे के आसपास जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक्यूआई 910, लाजपत नगर में 959 और करोल बाग में 779 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार अधिकांश स्थानों पर औसत एक्यूआई 300 के आसपास था।
दिन के दौरान रोहिणी, आईटीओ और दिल्ली हवाईअड्डा क्षेत्र सहित अधिकांश स्थानों पर पीएम2.5 और पीएम10 प्रदूषक स्तर 500 तक पहुंच गया।
पीएम2.5 के पैमाने पर हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। पीएम2.5 प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक है। पीएम2.5 का एक्यूआई से सीधा संबंध है। एक्यूआई हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए ये बेहद ख़तरनाक होते हैं। कई बार तो ये कण जानलेवा भी साबित होते हैं।
बता दें कि तीन दिन पहले ही दिल्ली के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के बाद प्रदूषण से कुछ राहत मिली थी। ऐसी राहत के लिए सरकार आर्टिफिशियल रेन यानी कृत्रिम बारिश के लिए योजना बना रही थी। इस महीने की शुरुआत से ही दिल्ली में ख़राब हवा ने जीना मुहाल कर दिया है। प्रदूषण की वजह से जन-जीवन प्रभावित हुआ है। पहले तो प्राथमिक स्कूलों को बंद किया गया था, लेकिन फिर स्कूलों में शीतकालीन छुट्टियाँ ही काफी पहले ही कर दी गईं। वाहनों पर तो दिल्ली में तरह-तरह की पाबंदियाँ हैं ही।