इलाज न मिलने से दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की मौत, पॉजिटिव आया कोरोना सैंपल 

06:13 pm May 07, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

31 साल के दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल को राजधानी के कई अस्पतालों ने भर्ती करने से इनकार कर दिया। इलाज न मिल पाने के कारण मंगलवार शाम को उनकी मौत हो गई। कांस्टेबल का नाम अमित राणा था और उनकी उम्र 31 साल थी। बुधवार शाम को राणा के सैंपल का रिजल्ट आया तो पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव थे। 

राणा में कोरोना के लक्षण नहीं दिखे थे लेकिन सोमवार शाम को उन्हें तेज़ बुखार चढ़ा और सांस लेने में परेशानी होने लगी। एक ऑडियो क्लिप में राणा को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने वाले साथी पुलिस महकमे के दूसरे साथी को इस बारे में बताते हैं। 

अस्पताल ले जाने वाले साथी के मुताबिक़, ‘राणा को सोमवार को ड्यूटी से लौटने के बाद हल्का बुखार था। इस पर उन्होंने कुछ दवाई ली और वह सो गये। रात को 2 बजे राणा ने कहा कि सांस लेने में दिक्कत हो रही है। सुधार नहीं होने पर उन्हें मंगलवार तड़के दिल्ली के अशोक विहार में स्थित कोरोना वायरस के टेस्टिंग सेंटर ले जाया गया। सेंटर में मौजूद डॉक्टर्स ने कहा कि यहां कोरोना का केवल टेस्ट किया जा सकता है, भर्ती नहीं किया जा सकता।’

ऑडियो क्लिप में साथी कहते हैं कि इसके बाद वह और एक दूसरा साथी राणा को बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल ले गए। लेकिन यहां भी डॉक्टर्स ने यही कहा कि यहां टेस्ट हो सकता है, भर्ती करने की सुविधा नहीं है। 

साथी के मुताबिक़, ‘कुछ सीनियर पुलिस अफ़सरों के कॉल करने के बाद राणा को दीप चंद बंधु सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, जहां दवाई देने के बाद उन्हें कोरोना का टेस्ट कराने के लिए अशोक विहार ले जाने के लिए कह दिया गया।’ 

राणा के साथी ऑडियो क्लिप में बातचीत के दौरान कहते हैं, ‘गोली खाने से राणा को थोड़ा फ़ायदा हुआ और इसके बाद उन्हें हम फिर से अशोक विहार सेंटर ले गये लेकिन वहां की डॉक्टर ने कहा कि उन्हें घर ले जाओ क्योंकि यहां भर्ती करने की कोई सुविधा नहीं है। इसके बाद हम उन्हें घर लाए लेकिन राणा की तबीयत ज़्यादा बिगड़ गयी। शाम को एसएचओ का फ़ोन आया कि राणा को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाओ।’ 

राणा के साथी के मुताबिक़, जब तक हम अस्पताल पहुंचते उससे पहले ही राणा की मौत हो गयी। अस्पताल में जांच करने के बाद डॉक्टर्स ने भी उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

राणा के साथी बातचीत में कहते हैं कि उन्होंने कोरोना के इलाज के लिए दिए गए दिल्ली के हेल्पलाइन नंबर से लेकर कई जगहों पर फ़ोन किया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली।

साथी यह भी कहते हैं कि कोई पुलिस अफ़सर उनके साथ नहीं है। राणा का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद उनके साथ अस्पताल गए साथियों को सेल्फ़ आइसोलेट होने के लिए कहा गया है। 

राणा हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले थे और इन दिनों उत्तर-पश्चिम दिल्ली के भरत नगर में तैनात थे। अमित का तीन साल का एक बेटा भी है। अरविंद केजरीवाल ने राणा के परिवार को 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। 

दिल्ली में अब तक 70 जवान कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। राजधानी में संक्रमण के 5500 से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 65 लोगों की मौत हो चुकी है। 

आम आदमी को मिलेगा इलाज

इस ऑडियो क्लिप को सुनने के बाद सवाल यही खड़ा होता है कि जब पुलिस महकमा, जो कोरोना से लड़ाई में फ्रंट लाइन वॉरियर भी है और जिसे ताक़तवर महकमा माना जाता है, उसके ही मुलाजिम को भर्ती करने के लिए जब कोई अस्पताल तैयार नहीं है तो क्या आम आदमी को इलाज मिल पाएगा। राणा के मामले को देखकर आम आदमी को इलाज मिलने के बारे में सोचना भी बेईमानी लगता है।