क्या दिन रात नफ़रत और जहर उगलते लोगों और नेताओं पर यूएपीए के तहत कार्रवाई हुई? लेकिन लोकतंत्र के लिए ज़रूरी माने जाने वाले विरोध की आवाज़ के तौर पर मुखर रहीं अरुंधति रॉय पर अब सख़्त यूएपीए के तहत कार्रवाई की तैयारी है। अरुंधति रॉय मोदी सरकार की मुखर आलोचक रही हैं और उन्होंने कई मुद्दों पर सरकार की नीतियों की आलोचना की है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ सख्त आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मामला 2010 में कश्मीर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर दर्ज किया गया था। अरुंधति के अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ भी यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है।
राजभवन के अधिकारियों के अनुसार, कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित द्वारा 28 अक्टूबर, 2010 को की गई शिकायत के आधार पर नई दिल्ली में एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के बाद रॉय और हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के अलावा भाषण देने वालों में दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी और वरवर राव शामिल थे।
यह आरोप लगाया गया था कि गिलानी और अरुंधति रॉय ने जोरदार तरीके से प्रचार किया कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था, भारत के सशस्त्र बलों द्वारा जबरन कब्जा किया गया था और भारत से जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। शिकायतकर्ता द्वारा कथित तौर पर इसकी रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई गई थी। इसके बाद एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई।
बहरहाल, पीटीआई ने शुक्रवार को राज निवास के अधिकारियों के हवाले से बताया, 'दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 45 (1) के तहत अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।'
पिछले साल अक्टूबर में सक्सेना ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के तहत रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।