दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रदूषण के उच्च स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए श्रद्धालुओं को गीता कॉलोनी स्थित यमुना नदी तट पर छठ पूजा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा, ''अदालत ने कहा- “यह आपके लिए बहुत हानिकारक होगा। तथ्य यह है कि नदी इतनी प्रदूषित है कि यदि आप इसमें डुबकी लगाते हैं, तो संभावना है कि उस व्यक्ति को नुकसान होगा। हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते। नदी खुद अत्यधिक प्रदूषित है।''
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सरकार के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट को बताया कि इस समय यमुना नदी अत्यधिक प्रदूषित है, और यदि भक्तों को नदी के किनारे छठ पूजा करने की अनुमति दी जाती है, तो उनके बीमार पड़ने की संभावना है।
संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में छठ पूजा करने के लिए 1,000 स्थान चिह्नित किए हैं और इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
याचिका को खारिज करते हुए, हाईकोर्ट ने शबनम बर्नी मामले में अपने हालिया आदेश पर गौर किया, जिसमें इस तथ्य के बारे में न्यायिक नोटिस लिया गया था कि यमुना नदी में प्रदूषण अब तक के उच्चतम स्तर पर है। दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला तब आया है जब कालिंदी कुंज में यमुना नदी पर गाढ़ा जहरीला झाग तैरता देखा गया, क्योंकि नदी में प्रदूषण का स्तर ऊंचा बना हुआ है।
मंगलवार को छठ पूजा के पहले दिन कई श्रद्धालुओं ने यमुना नदी की सतह पर जहरीले झाग की मोटी परतें होने के बावजूद स्नान के लिए खुद को उसमें डुबोया। छठ पूजा दिल्ली के पूर्वांचली समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के भोजपुरी भाषी निवासी शामिल हैं। इस समुदाय के दिल्ली में 30-40 प्रतिशत मतदाता हैं, जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।