बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े वीडियो या किसी फर्जी कंटेंट को प्रसारित करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी गई है। इस तरह के वीडियो को साझा भी नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा, 'हर बच्चा सम्मान और आदर के साथ व्यवहार पाने का हकदार है, चाहे वह सेलिब्रिटी का बच्चा हो या आम आदमी का।' लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने कहा कि एक बच्चे से संबंधित भ्रामक जानकारी का प्रसार, विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में, कानून में पूरी तरह से असहनीय है। अदालत ने यह भी कहा कि वह ऐसे मामलों में 'जीरो टॉलरेंस' रखती है।
अदालत का यह फ़ैसला तब आया है जब इस मामले में आराध्या बच्चन ने अपने पिता के माध्यम से विभिन्न यू-ट्यूब चैनलों के ख़िलाफ़ ऐसी रिपोर्ट प्रसारित करने के ख़िलाफ़ स्थायी रोक लगाने की मांग के लिए याचिका दायर की थी।
बता दें कि यह नाबालिग का मामला है। हालाँकि, वह मुंबई में धीरूभाई इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाली व स्कूल जाने वाली एक स्वस्थ बच्ची हैं, लेकिन कुछ शरारती तत्व, केवल प्रचार के लिए, यू-ट्यूब प्लेटफॉर्म पर यह कहते हुए वीडियो प्रसारित कर रहे हैं कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं। एक वीडियो में यह भी दावा किया गया था कि आराध्या अब नहीं रही और वीडियो में कई तरह की छेड़छाड़ की गई तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया था।
मुकदमे में कहा गया है कि विचाराधीन वीडियो नाबालिग के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का भी उल्लंघन करते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि उचित साक्ष्य के बिना किसी बच्चे के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी साझा करना न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी रूप से अस्वीकार्य भी है। अदालत ने नौ यूट्यूब चैनलों और गूगल को समन जारी करते हुए अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग वाली अर्जी पर भी नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति शंकर ने कहा, 'हालांकि यह पहली बार नहीं है कि इस तरह की भ्रामक जानकारी मशहूर हस्तियों के लिए प्रसारित की जा रही है, बच्चे के वीडियो उन लोगों की विकृति को दर्शाता है जो ऐसी चीजें प्रसारित कर रहे हैं।'
यह देखते हुए कि प्रथम दृष्टया आराध्या बच्चन के पक्ष में अंतरिम निषेधाज्ञा देने का मामला बनता है। अदालत ने नौ यू-ट्यूब चैनलों और उनके सहयोगियों या एजेंटों को नाबालिग की स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित वीडियो प्रसारित करने या आगे प्रसारित करने से रोक दिया।
अदालत ने गूगल को हलफनामे पर इन 9 यू-ट्यूब चैनलों की पहचान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसमें यह भी कहा गया है कि गूगल विचाराधीन वीडियो को तुरंत हटा देगा।