क्या दिल्ली में अब मुफ्त बिजली बहुत हो गई? कहीं इसे ख़त्म करने की तैयारी तो नहीं है? ये सवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक घोषणा से आपके दिमाग में भी कौंध सकता है।
केजरीवाल ने कहा है, 'कई लोगों के सुझाव और पत्र मिले हैं कि वो सक्षम हैं इसलिए फ्री बिजली नहीं चाहते हैं। हमने तय किया है कि हम लोगों से जल्द पूछेंगे कि क्या उन्हें बिजली की सब्सिडी चाहिए? एक अक्टूबर से उन्हीं लोगों को सब्सिडी दी जाएगी जो लोग बिजली की सब्सिडी मांगेंगे।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस बयान में वैसे तो कुछ भी ऐसा नहीं लगता है कि दिल्ली सरकार मुफ्त बिजली की व्यवस्था ख़त्म करने जा रही है, लेकिन जब मोदी सरकार की एक ऐसी ही योजना को याद करेंगे तो शायद आपके दिमाग में भी यह सवाल उठे। एक समय था जब घरेलू गैस पर सब्सिडी मिलती थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन ऐसी ही अपील की थी। 2015 में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जो लोग समृद्ध हैं तथा जिन्हें गैस पर सब्सिडी की ज़रूरत नहीं है वे स्वयं सब्सिडी लेनी छोड़ दें और बाज़ार के मूल्यों पर गैस ख़रीदें।
प्रधानमंत्री मोदी के गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील पर उनके सबसे क़रीबी नेता अमित शाह ने जो कहा वो और रोचक है। शाह ने क़रीब दो साल बाद यानी 2017 में कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी की एक अपील पर 1 करोड़ 10 लाख लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।
हालाँकि, अमित शाह ने उन शिकायतों का ज़िक्र नहीं किया था जिसमें लोगों ने सब्सिडी छोड़ना तो नहीं चाहा था लेकिन उनकी सब्सिडी मिलनी बंद हो गई थी। उन्होंने उन शिकायतों का ज़िक्र भी नहीं किया जिसमें फोन पर एक बटन दबने से ही सब्सिडी छोड़ने की बात मान ली जाती थी। तब ऐसी शिकायतें आती रही थीं कि ग़लती से भी मोबाइल पर वह बटन दब जाता था या फिर गांव में कम पढ़े-लिखे ग़रीब लोगों के मोबाइल पर बटन दब जाता था और सब्सिडी बंद हो जाती थी।
अमित शाह के सब्सिडी छोड़ने की बात को गर्व करने के अंदाज में जैसे बयान 2017 में आए थे वैसे बयान अब नहीं आते कि कितने करोड़ या लाख लोगों ने सब्सिडी छोड़ दी। ऐसे बयान आएँगे भी नहीं। क्योंकि अब सरकार ने धीरे-धीरे कर सब्सिडी ही बंद कर दी है।
ये तो बात हुई घरेलू गैस पर सब्सिडी की। अब बात दिल्ली में बिजली की सब्सिडी की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा है कि राजधानी में अभी जो पावर सब्सिडी दी जाती है, उसमें 1 अक्टूबर 2022 से बदलाव किया जाएगा। सब्सिडी उन्हीं लोगों को दी जाएगी, जो इसकी मांग करेंगे। उन्होंने कहा है कि अगर कोई खुद को सक्षम समझता है तो वह दिल्ली सरकार को बता सकता है कि उसको बिजली सब्सिडी नहीं चाहिए और वह सामान्य दर वाली बिजली इस्तेमाल कर सकता है।
बता दें कि दिल्ली में सत्ता में आने के बाद से आम आदमी पार्टी की सरकार 200 यूनिट तक फ्री बिजली दे रही है। प्रति माह 201 से 400 यूनिट बिजली की खपत पर 800 रुपये की सब्सिडी मिलती है। आप इसी तरह की मुफ़्त बिजली के दावे चुनाव वाले राज्यों में कर रही है।
दिल्ली में सस्ती बिजली वैकल्पिक करने यानी बिजली सब्सिडी छोड़ने की योजना तब लाई जा रही है जब देश में बिजली संकट है। रिपोर्ट है कि बिजली संकट से निपटने व कोयले की मांग पूरी करने के लिए 1100 पैसेंजर ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं। हाल ही में दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो कहा था कि बिजली संयंत्रों में एक दिन से भी कम समय का कोयला बचा था और स्थिति ऐसी आ गई थी कि मेट्रो और सरकारी अस्पतालों जैसी सेवाओं में रुकावट आ सकती थी। तो क्या अब इस संकट में बिजली की अहमियत समझ आ गई है?