दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह राहत दी। लेकिन जेल की कागजी कार्यवाही पूरी किए जाने के बाद केजरीवाल शुक्रवार को ही जेल से रिहा हो पाएँगे। आम आदमी पार्टी ने कहा है कि यह सत्य की जीत हुई है। आप ने ट्वीट किया है, 'सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। बीजेपी की ईडी की तमाम आपत्तियों को ख़ारिज करते हुए माननीय न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को जमानत दे दी है।'
इससे पहले दिन में अदालत ने ज़मानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने बुधवार को मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 जुलाई तक बढ़ा दी थी। लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट के अवकाश न्यायाधीश न्याय बिंदु ने गुरुवार को पहले आदेश सुरक्षित रखने के बाद यह आदेश पारित किया। ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने जांच एजेंसी द्वारा अपने कानूनी उपायों का इस्तेमाल किए जाने तक आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने रोक के अनुरोध को खारिज कर दिया।
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। मई में उन्हें आम चुनावों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका मंजूर किए जाने के बाद 10 मई को रिहा किया गया था। उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया था।
ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि सह आरोपी चनप्रीत सिंह ने उद्यमियों से भारी मात्रा में नकद राशि प्राप्त की और अरविंद केजरीवाल के होटल में ठहरने के बिल का भुगतान किया। लाइल लॉ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि ईडी हवा में जांच कर रही है और केंद्रीय जांच एजेंसी के पास मामले में ठोस सबूत हैं।
रिपोर्ट के अनुसार ईडी की ओर से एएसजी ने कहा, 'केजरीवाल कहते हैं कि मेरा फोन पवित्र है। मैं पासवर्ड नहीं दूंगा। हमें विनोद चौहान के फोन का सहारा लेना पड़ा। वह चुप बैठा है। कई बार ऐसा हुआ है कि आरोपी कहता है कि मैं नहीं करूंगा। इस तथ्य से निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि केजरीवाल ने अपना पासवर्ड देने से इनकार कर दिया है। यह सामान्य जमानत कानून के तहत जमानत से इनकार करने का आधार है, फिलहाल धारा 45 पीएमएलए को भूल जाइए।'
एएसजी ने कहा कि सह आरोपी विजय नायर, जो सरकार से जुड़ा नहीं था और आबकारी नीति बनाने में उसका कोई काम नहीं था, उसे केजरीवाल ने बिचौलिए के तौर पर इस्तेमाल किया और मुख्यमंत्री के साथ उसकी निकटता संदेह से परे साबित होती है।
दलीलों का खंडन करते हुए केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि मनीष सिसोदिया की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी क्योंकि वह दो मामलों- अनुसूचित मामले और पीएमएलए मामले में जमानत मांग रहे थे। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में केजरीवाल सीबीआई मामले में आरोपी नहीं हैं और इसके विपरीत, रिकॉर्ड में यह बात दर्ज है कि उन्हें गवाह के तौर पर बुलाया गया था। उन्होंने कहा, 'सीबीआइ को निर्देश देना ईडी का काम नहीं है। यह एक स्वतंत्र एजेंसी है जो फैसला लेगी।'
केजरीवाल की ओर से पेश वकील चौधरी ने कहा, 'आपने उसे पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया? 21 मार्च को क्यों? आप उनसे क्या चाहते थे? क्या ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है या यह कुछ राजनीतिक आकाओं के हाथों में खेल रही है? आखिरकार मैं एक राजनीतिक इकाई हूं, मुझे इस तरह की दलीलें देनी ही पड़ती हैं।' इसके अलावा चौधरी ने कहा कि सह-आरोपी चनप्रीत सिंह ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि उसने आप के गोवा चुनावों के लिए पैसे दिए हैं या उसने अपराध की आय जुटाई है।
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'पीएमएलए के मामलों में किसी भी तरह की राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक इंतज़ार करना पूरी न्याय व्यवस्था का दम घोट रहा था। निचली अदालतें भी समय पर न्याय दें, यह बहुत ज़रूरी था। हर मामला सुप्रीम कोर्ट जाये, ये सुप्रीम कोर्ट का बोझ बेवजह बढ़ा रहा था।'
'ईडी के बयान झूठ पर आधारित, फैसला सत्य की जीत'
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद आप विधायक दिलीप पांडे ने एएनआई से कहा, 'यह सत्य की जीत है। हम पहले दिन से कह रहे हैं कि पूरा मामला फर्जी है। हम अदालत के इस फैसले का सम्मान करते हैं।'
आप सांसद संजय सिंह ने कहा, 'अरविंद केजरीवाल का ऐसे समय में जेल से बाहर आना लोकतंत्र को मजबूत करने वाला है। यह दिल्ली के लोगों के लिए अच्छी खबर है। ईडी के अब तक के बयान झूठ पर आधारित थे। यह केजरीवाल को फंसाने के लिए बनाया गया एक बेबुनियाद फर्जी मामला है।'