केजरीवाल ने किया SC से जमानत 7 दिन बढ़ाने का अनुरोध, जानें वजह क्या बताई

10:37 am May 27, 2024 | सत्य ब्यूरो

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी अंतरिम जमानत सात दिन बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने अपने स्वास्थ्य को वजह बताया है। उन्होंने गंभीर बीमारी के लक्षण बताते हुए इलाज के लिए समय मांगा है।

आम आदमी पार्टी की ओर से सोमवार को कहा गया है कि केजरीवाल का वजन सात किलोग्राम कम हो गया है और उनके शरीर में कीटोन का स्तर अधिक है। पार्टी ने कहा, 'ये किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने उनकी जांच की। उन्हें पीईटी-सीटी स्कैन और कई अन्य जाँचों से गुजरना होगा। उन्होंने जांच कराने के लिए सात दिन का समय मांगा है।' 

दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका मंजूर किए जाने के बाद 10 मई को रिहा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है। साथ ही उन्हें 2 जून को हर हाल में सरेंडर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस दौरान उनके द्वारा चुनाव प्रचार करने पर कोई रोक या पाबंदी नहीं रहेगी। वह मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जा सकते हैं और मुख्यमंत्री के रूप में किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते हैं।

केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ़्तार किया गया था और तब से वह जेल में थे। उनकी अंतरिम जमानत ख़त्म होने के एक दिन बाद 2 जून को उन्हें जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा।

अपनी गिरफ़्तारी का ज़िक्र करते हुए केजरीवाल ने एक दिन पहले ही पंजाब में बीजेपी पर हमला किया था और कहा था, '16 मार्च को आम चुनाव की घोषणा हुई और 21 मार्च को उन्होंने मुझे गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने मुझे, मेरी पार्टी के नेताओं संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन को गिरफ़्तार कर लिया और फिर मोदी दिल्ली में कहते हैं- चलो चलो, चुनाव लड़ो।'

अरविंद केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत पर विवाद भी हुआ है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि उनके साथ 'विशेष व्यवहार' किया गया है।

अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरविंद केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत को असमान्य फ़ैसला क़रार दिया। एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने 15 मई को कहा था, 'मेरा मानना है कि यह कोई नियमित फैसला नहीं है। इस देश में बहुत सारे लोग मानते हैं कि विशेष व्यवहार किया गया है।'

हालाँकि, जमानत देने में शामिल न्यायाधीशों ने जोरदार ढंग से कहा है कि केजरीवाल के पक्ष में कोई अपवाद नहीं बनाया गया है। अदालत ने अंतरिम जमानत के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार की ज़रूरत पर गौर किया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अपने आदेश में केजरीवाल को जमानत देते हुए सहभागी लोकतंत्र की ज़रूरत बताई और कहा था कि आम चुनाव लोकतंत्र को ताक़त देते हैं।

पीठ ने कहा था, 'यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि लोकसभा का आम चुनाव इस साल सबसे महत्वपूर्ण और अहम घटना है, क़रीब 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता अगले पाँच साल के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे।'

जब पहले भी जमानत पर दलीलें दी जा रही थीं तो अदालत ने चुनाव को लेकर जमानत दिए जाने पर विचार करने की बात कही थी। इसने कहा था कि अरविंद केजरीवाल आदतन अपराधी नहीं हैं और वह राष्ट्रीय राजधानी के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं।

केजरीवाल मामले में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने पहले कहा था, 'चुनाव हैं। ये असाधारण परिस्थितियां हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं।' जस्टिस दत्ता ने कहा था, 'अगर चुनाव नहीं होते तो अंतरिम जमानत का कोई सवाल ही नहीं होता।'