दिल्ली के निज़ामुद्दीन क्षेत्र में क़रीब 200 लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण दिखे हैं। अधिकारी उन्हें हॉस्पिटल ले गए हैं और उनकी जाँच की जा रही है। पुलिस ने पूरे क्षेत्र को घेरे में ले लिया है। ड्रोन से इसकी निगरानी की जा रही है कि कहीं कोई नियमों का उल्लंघन न कर दे। इस मामले के आने के बाद क्षेत्र में क़रीब 2000 लोगों को क्वरेंटाइन किया गया है। अब इस क्षेत्र में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ने का ख़तरा मंडरा रहा है।
एक साथ में इतना ज़्यादा संदिग्ध मामला पहली बार आया है। हालाँकि 34 लोगों को रविवार को और क़रीब 150 लोगों को आज यानी सोमवार को हॉस्पिटल ले जाया गया। इनमें से अधिकतर एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम में शामिल होने दूसरे राज्यों से आए कुछ लोगों में वायरस की पुष्टि हो चुकी है।
दिल्ली में जिन लोगों में कोरोना के लक्षण दिखे हैं वे सभी 18 मार्च को निज़ामुद्दीन दरगाह के पास मसजिद में एक धार्मिक कार्यक्रम में शरीक हुए थे। उसमें अलग-अलग राज्यों से क़रीब 500 लोग इकट्ठे हुए थे और बाद में वे वापस अपने-अपने राज्य भी वापस लौट गए थे।
'एनडीटीवी' के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि वे क़रीब 20-30 बसों में देश के अलग-अलग हिस्सों में अपने घरों को लौटे हैं। अधिकारी अब उनको पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं जो उनके संपर्क में आए होंगे।
'द हिंदू' के अनुसार, शुक्रवार को ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उन छह लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है जो निज़ामुद्दीन में कार्यक्रम में शामिल होकर कोलकाता होते हुए लौटे थे।
तमिलनाडु में आज ही जो कोरोना के संदिग्ध मरीज की मौत हुई है उसने भी निज़ामुद्दीन के कार्यक्रम में शिरकत की थी। हालाँकि उसकी जाँच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। पिछले गुरुवार को कश्मीर के 65 साल के एक वृद्ध की मौत हो गई थी। वह निज़ामुद्दीन के कार्यक्रम में शामिल होकर ट्रेन से अपने राज्य कश्मीर लौटे थे। इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर आंध्र प्रदेश के गुंटूर में लौटे 52 साल के एक व्यक्ति में भी कोरोना की पुष्टि हुई है।
रिपोर्टों में कहा गया है कि पिछले एक हफ़्ते से इस क्षेत्र में मेडिकल कैंप चलाया जा रहा है। इसमें मेडिकल टीम लोगों के सैंपल भी ले रही है कि कहीं कम्युनिटी स्प्रेड का मामला तो नहीं है। एक रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि धार्मिक कार्यक्रम होने के बाद से ही ऐसे लोगों को ढूँढा जा रहा है जो उस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
मार्च महीने के मध्य का यह वह समय था जब देश भर में अलग-अलग जगहों पर इस वायरस के मामले आने लगे थे। संख्या भी काफ़ी बढ़ गई थी। लोगों को काफ़ी पहले से ही सलाह दी जा रही थी कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इसके बावजूद कई जगहों पर सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रम लोगों ने जारी रखे।
निज़ामुद्दीन में जो 18 मार्च को यह धार्मिक कार्यक्रम हुआ वह भी उसी दौरान हुआ था। इसके बाद भी कई जगहों पर कार्यक्रम हुए। मध्य प्रदेश में जब बीजेपी की सरकार बनी तब भी सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए थे और सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन नहीं किया था। जब प्रधानमंत्री मोदी ने 'जनता कर्फ्यू' के दौरान ताली और थाली बजाने का आह्वान किया था तब भी लोगों ने समूहों में जुलूस के रूप में निकाला और इससे वायरस के फैलने का ख़तरा बना रहा। कई राज्यों में लॉकडाउन होने के बाद भी अयोध्या में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक धार्मिक कार्यक्रम करते दिखे थे। उस दौरान उनकी भी तीखी आलोचना की गई।