दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों के एक अभियुक्त के तब्लीग़ी जमात के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ से संबंध हैं। दिल्ली पुलिस ने बुधवार को क्राइम ब्रांच में दंगों के संबंध में दाखिल की गई चार्जशीट में इस बात का दावा किया है।
पुलिस के मुताबिक़, 24 फ़रवरी को शिव विहार में एक स्कूल के बाहर हुए दंगों की जांच के दौरान राजधानी स्कूल के मालिक फ़ैसल फ़ारूक़ की कॉल डिटेल से पता चला है कि उसके संबंध इसलामिक संगठन पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई), पिंजरा तोड़, जामिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी, हज़रत निज़ामुद्दीन और कुछ अन्य कट्टरपंथी मुसलिम संगठनों और देवबंद से भी हैं। पुलिस के मुताबिक़, इससे साज़िश कितनी गहरी थी, इसका पता चलता है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, पुलिस ने दावा किया है कि फ़ारूक़ ने राजधानी स्कूल के आसपास हुई हिंसा को बढ़ावा देने की साज़िश रची थी। डीआरपी कॉन्वेन्ट स्कूल में आग लगाए जाने के मामले में 18 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। इसमें फ़ारूक़ का भी नाम है। इस मामले में डीआरपी स्कूल के मालिक की ओर से मुक़दमा दर्ज कराया गया था।
दिल्ली दंगों के दौरान दंगाइयों ने डीआरपी कॉन्वेन्ट पब्लिक स्कूल और राजधानी पब्लिक स्कूल में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की थी। दोनों स्कूल अगल-बगल में स्थित हैं।
पुलिस ने चार्जशीट में कहा है कि दिल्ली दंगों से एक दिन पहले 23 फ़रवरी को फ़ारूक़ ने देवबंद का भी दौरा किया था। चार्जशीट में लिखा है कि दंगों की साज़िश रचने का पता इससे भी चलता है कि दंगों वाले दिन (24 फ़रवरी को) मुसलिम परिवारों के कई बच्चों ने स्कूल जल्दी छोड़ दिया था।
पुलिस के मुताबिक़, ‘दंगाइयों ने राजधानी स्कूल की छत से पेट्रोल बम, एसिड, पत्थर और कई तरह के ख़तरनाक हथियारों का इस्तेमाल किया। दंगाई डीआरपी कॉन्वेन्ट स्कूल में पहुंचने के लिए राजधानी स्कूल की छत से रस्सी के सहारे नीचे उतरे और स्कूल में रखे कंप्यूटर तोड़ दिए और आग लगा दी।’
पुलिस ने कहा है कि दंगाइयों ने एक दूसरी बिल्डिंग जिसमें अनिल स्वीट्स की दुकान थी, उसमें भी आग लगा दी थी। दंगों के दौरान दुकान का कर्मचारी दिलबर नेगी भी अंदर फंस गया था, बाद में उसका बुरी तरह जला शव मिला था। दिल्ली दंगों में 50 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।