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दिल्ली कांग्रेसः लगातार इस्तीफों के पीछे कौन, कन्हैया-उदित राज क्यों चुभ रहे हैं

दिल्ली कांग्रेसः लगातार इस्तीफों के पीछे कौन, कन्हैया-उदित राज क्यों चुभ रहे हैं

दिल्ली कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों नीरज बसोया और नसीब सिंह ने बुधवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले अरविंदर सिंह लवली का इस्तीफा आया था। अब यह साफ होता जा रहा है कि चुनाव के बीच इन इस्तीफों के जरिए कांग्रेस के खिलाफ संगठित अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें उसके अपनों की भूमिका है। कन्हैया कुमार और उदितराज की उम्मीदवारी कांग्रेस के किन लोगों को चुभ रही है। जानिए दिल्ली कांग्रेस की राजनीतिः 

कांग्रेस के पूर्व विधायक नीरज बसोया और नसीब सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बुधवार 1 मई को इस्तीफा दे दिया। दोनों पूर्व विधायकों ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के कांग्रेस के फैसले की आलोचना की और उत्तर-पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से उदितराज को टिकट देने पर नाराजगी जताई। यह घटनाक्रम अरविंदर सिंह लवली के दिल्ली कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा देने के बाद आया है। मंगलवार को कांग्रेस ने अपने पंजाब प्रभारी देवेंद्र यादव को दिल्ली इकाई का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। लवली ने भी आप से गठबंधन करने को अपने इस्तीफे की वजह बताई थी।  

इतने इस्तीफों के बाद संदीप दीक्षित की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जब लवली का इस्तीफा हुआ, उन्होंने पार्टी से एकजुटता दिखाने की बजाय लवली का दर्द बयान किया। उन्होंने लवली के इस्तीफे की आलोचना नहीं की। पिछले रविवार को जब दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने पार्टी के सभी नेताओं, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों, कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई तो उसमें उदितराज और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को निशाना बनाया गया। कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदितराज को प्रत्याशी बनाया है। वहां हो रहे विरोध का संदीप दीक्षित ने विरोध नहीं किया, जबकि वो दिल्ली कांग्रेस के पुराने नेताओं में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित के बेटे हैं और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर उनकी पकड़ है। 

कांग्रेस ने जब कन्हैया कुमार को दिल्ली से उम्मीदवार घोषित किया तो पूरे देश में उसका स्वागत हुआ। सोशल मीडिया ने कांग्रेस आलाकमान के फैसले की सराहना की और कहा कि संसद में अब अच्छा सुनने और पूरी गंभीरता से अपनी बात रखने वाला नेता पहुंचेगा। लेकिन संदीप दीक्षित समर्थक और इस्तीफा देने वाले कह रहे हैं कि कन्हैया कुमार बाहरी हैं, उन्हें टिकट नहीं देना चाहिए था। हालांकि उन्हें भाजपा के प्रत्याशी मनोज तिवारी और इससे पहले हंसराज हंस याद नहीं आए, जब भाजपा ने उन्हें दिल्ली से खड़ा किया। मनोज तिवारी को तो इस बार फिर टिकट मिला है। खुद संदीप दीक्षित का परिवार दिल्ली का नहीं है और बाहर से आकर दिल्ली में बसे हैं। दिल्ली में बड़े पैमाने पर यूपी, बिहार के लोग बसे हुए हैं। दोनों ही पार्टियां अपने ढंग से दिल्ली में प्रयोग करती रहती हैं।  

पूर्व कांग्रेस विधायक नसीब सिंह ने बुधवार को इस्तीफा देते हुए कन्हैया कुमार के बारे में जो कहा है, उसी से जाहिर है कि कांग्रेस में आलाकमान के फैसले के खिलाफ किस तरह अभियान चल रहा था। नसीब सिंह ने कहा- कांग्रेस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से मौजूदा भाजपा सांसद और भोजपुरी अभिनेता-गायक मनोज तिवारी के खिलाफ विवादास्पद पूर्व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस दिल्ली में सिर्फ एक सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है। नसीब सिंह ने कहाः "उत्तर-पश्चिम दिल्ली का उम्मीदवार (उदितराज) भी व्यावहारिक रूप से कांग्रेस के टिकट पर AAP का उम्मीदवार है। उत्तर पूर्वी दिल्ली के उम्मीदवार के साथ भी यही स्थिति है। दरअसल, मौजूदा स्थिति यह है कि कांग्रेस दिल्ली में 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है।''

नसीब सिंह ने कहा-  "कांग्रेस ने वामपंथी और कम्युनिस्ट लोगों को टिकट दिया, जो पार्टी की विचारधारा से सीधे तौर पर विरोधाभासी प्रतीत होते हैं।" नसीब सिंह के बयान से साफ है कि आम आदमी पार्टी से दिल्ली में गठबंधन को बहाना बनाया जा रहा है लेकिन दरअसल, लवली से लेकर नीरज बसोया और नसीब सिंह जैसे असंतुष्ट नेता सीधे तौर पर अपनी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं कर पाने की वजह से पार्टी से बगावत पर उतारू हुए। इसमें अरविंदर सिंह लवली का केस सबसे दिलचस्प है जो कांग्रेस छोड़कर पहले भी गए थे। लौटने पर उन्हें कांग्रेस में पूरा सम्मान मिला। लेकिन अब मौका देखकर वो भी निकल गए। 

दिल्ली राज्य की सत्ता से कांग्रेस लंबे समय से बाहर है। संदीप दीक्षित, अरविंदर सिंह लवली, नीरज बसौया, नसीब जैसे नेताओं के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि दिल्ली विधानसभा के चुनाव में उन्होंने पार्टी की कितनी मदद की या उनकी वजह से कितनी सीटें पार्टी जीत पाई। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का चुनाव तो सबसे छोटे स्तर का चुनाव होता है, इनके रसूख की वजह से पार्टी कितनी पार्षद सीटें दिल्ली में पा चुकी है। कुल मिलाकर दिल्ली में जमीनी कांग्रेसी नेताओं का अभाव है, इन लोगों के इस्तीफों से यह बात साफ हो गई है।

सूत्रों का कहना है कि संदीप दीक्षित जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की दिल्ली की राजनीति में एंट्री से खुद को असुरक्षित समझ रहे हैं। इसीलिए उन्होंने कन्हैया कुमार और उदित राज की उम्मीदवारी का जमकर विरोध किया। जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्हैया कुमार और उदितराज के नाम की घोषणा की गई, संदीप समर्थक कार्यकर्ताओं ने दोनों के खिलाफ नारे लगाए। उदितराज की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और "बाहरी उम्मीदवार नहीं चलेगा" जैसे नारे लगाए।

दिल्ली में आप चार सीटों पर और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है। हकीकत यह है कि अभी तक कांग्रेस का चुनाव प्रचार ठीक से शुरू भी नहीं हुआ। हालांकि कन्हैया कुमार को कांग्रेस के अलावा तमाम जनसंगठनों, छात्र संगठनों का समर्थन मिल रहा है और उनका चुनाव प्रचार अपने आप चल रहा है लेकिन उदितराज के लिए तमाम तरह की दिक्कतें हैं, जिनमें कांग्रेस के प्रमुख नेताओं का उन्हें साथ न मिलना भी शामिल है।

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