लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता कितनी कामयाब हो पाएगी? विपक्षी एकता की पटना में पहली बैठक से पहले ही अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप ने विपक्षी एकता से अलग हटने की चेतावनी दे दी थी। और बैठक ख़त्म होने के बाद तो आप ने चेतावनी वाला लिखित बयान जारी कर दिया। तो क्या यह विपक्षी एकता के लिए बड़ा झटका है और क्या इसका असर बहुत ज़्यादा पड़ेगा? इन सवालों का जवाब सीपीआई महासचिव डी राजा ने दिया है।
आप की इस धमकी के बीच डी राजा ने कहा है कि यह विपक्षी एकता के लिए झटका नहीं है और उन्होंने कहा कि स्वतंत्र राजनीतिक दलों के रूप में कुछ मामलों पर छोटी-मोटी विसंगतियाँ हो सकती हैं, लेकिन इस पर काबू पाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी गुट का नेतृत्व फ़िलहाल कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन बीजेपी ऐसे मामलों को उठा रही है क्योंकि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के संभावित नतीजे से डरती है।
डी राजा का यह बयान तब आया है जब पटना में 15 विपक्षी दलों की बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की धमकी सामने आई है। पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक के बाद आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश की आलोचना करने से इनकार कर दिया है और जब तक 'काले अध्यादेश' की आलोचना नहीं की जाती तब तक पार्टी समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग नहीं लेगी।
शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनावों में एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने का संकल्प लिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब सीएम भगवंत मान बैठक में शामिल हुए, लेकिन उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या यह विपक्षी एकता के लिए झटका है, डी राजा ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह झटका है। वास्तव में, एक तरह से यह सकारात्मक भी है, किसी को इसे ऐसे ही लेना चाहिए क्योंकि हम सभी स्वतंत्र राजनीतिक दल हैं। कुछ मुद्दों पर छोटी-मोटी विसंगतियां हो सकती हैं… लेकिन हम उन पर काबू पा रहे हैं और हम एक साथ आने के लिए सहमत हुए हैं।' उन्होंने आरोप लगाया, 'हम सभी समझते हैं कि देश चुनौतियों से गुजर रहा है और संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और देश की विविधता सभी पर हमला हो रहा है।'
आप के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि उसके लिए विपक्षी दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जहां कांग्रेस भागीदार है, डी राजा ने कहा कि उन्होंने उनका बयान नहीं पढ़ा है और वह इस पर अटकलें नहीं लगाना चाहते हैं।
सीपीआई नेता ने कहा, ‘मैं जो समझता हूं वह यह है कि वे बैठक में अंत तक मौजूद थे और अपनी यात्रा प्रतिबद्धताओं के कारण वे चले गए।’ डी राजा ने कहा कि वह बेहद आशावादी हैं कि सभी गैर-भाजपा धर्मनिरपेक्ष दल 2024 में भाजपा को हराने के लिए एक साथ आएंगे।
इस बीच डी राजा ने विचार-विमर्श में टीएमसी नेता ममता बनर्जी की भागीदारी और उसके बाद खुलकर बोलने को भी एक सकारात्मक संकेत बताया। यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्षी खेमे का अगला कदम सीट बंटवारे और एक साझा एजेंडे को अंतिम रूप देना होगा, उन्होंने कहा कि उन्होंने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से इस देश के लोगों को बताया है कि वे सभी एक साथ हैं और राष्ट्र और संविधान को बचाने के लिए बीजेपी को हराने का संकल्प लिया है।
उन्होंने कहा है कि सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दल सहमत हैं और उन्होंने संकल्प व्यक्त किया है कि वे 2024 में बीजेपी को चुनाव में हराने के लिए मिलकर लड़ेंगे। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि क्या आप संयुक्त रूप से भाजपा से मुकाबला करने वाले गुट का हिस्सा होंगे, उन्होंने कहा कि यह पार्टी को तय करना है और वह उनके लिए फैसला नहीं कर सकते।
बीजेपी द्वारा विपक्ष की बैठक को लेकर विपक्ष पर हमला करने और उनके साथ आने को अवसरवादी बताने पर डी राजा ने दावा किया कि जब से कर्नाटक की जनता ने बीजेपी को हराया है, तब से वह हताश हो गई है। उन्होंने दावा किया, 'बीजेपी घबराई हुई है और हर गुजरते दिन के साथ उनकी हताशा बढ़ती जा रही है। वे समझते हैं कि देश भर में असंतोष बढ़ रहा है और कर्नाटक चुनाव परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की हार की शुरुआत है।'