भारतीय मूल के इंजीनियर पराग अग्रवाल ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनते ही विवादों में घिर गए। जहाँ एक ओर कम उम्र में इतने बड़े सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के प्रमुख बनने पर उनकी तारीफ की जा रही है, दूसरी ओर उनके एक पुराने ट्वीट को लेकर उनकी आलोचना भी की जा रही है।
हालांकि यह ट्वीट कई साल पुराना है और उस पर उन्होंने सफाई भी दी है, पर उन पर सवाल तो उठ रहे हैं।
लगभग 11 साल पहले इस ट्वीट में पराग अग्रवाल ने मुसलमान, चरमपंथी, गोरों और नस्लभेद की बात की थी।
विवाद क्या है?
पराग अग्रवाल ने 26 अक्तूबर 2010 के इस ट्वीट में लिखा था, "अगर वो मुसलमान और चरमपंथियों के बीच अंतर नहीं करने वाले हैं तो फिर मुझे गोरे लोगों और नस्लवादियों में अंतर क्यों करना चाहिए?"वे उस समय ट्विटर में नहीं थे।
सफाई
पराग अग्रवाल ने कहा था कि यह बात कॉमेडियन आसिफ़ मांडवी ने 'डेली शो' के दौरान कही थी जिसे उन्होंने ट्वीट किया था। दरअसल इस कार्यक्रम में कई कॉमेडियनों ने भाग लिया था और इसमें काले लोगों के अधिकारों के बारे में बात हो रही थी।
प्रतिक्रिया
लेकिन इस ट्वीट पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
अमेरिका में टेनिसी की सीनेटर और रिपब्लिकन पार्टी की नेता मार्शा ब्लैकबर्न ने इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, "ट्विटर के नए सीईओ ने धर्म को पिरामिड स्कीम बताया है। यह वो हैं जो आपकी बात को ऑनलाइन नियंत्रित करने जा रहे हैं।"
अमेरिकी पत्रकार क्ले ट्रेविस ने ट्वीट किया, "यह हैं ट्विटर के नए सीईओ। जैक डोर्सी के जाने के बाद यहाँ पर चीज़ें और ख़राब होने जा रही हैं।"
क्या कहना है भारतीयों का?
इस पर भारतीयों ने दिलचस्प तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
राजशेखर झा ने ट्वीट किया है, "पराग अग्रवाल तब ही सच्चे भारतीय माने जाएंगे जब वो जैक के ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड करेंगे और कंगना के ट्विटर अकाउंट को बहाल करेंगे। हालांकि, ट्विटर का सीईओ बनने के लिए शुभकामनाएं पराग अग्रवाल। भारत दुनिया पर राज कर रहा है।"
ट्विटर यूज़र सिराज हाशमी ने लिखा, "जिस संदर्भ में यह वक्तव्य है वह बिलकुल बिंदु से अलग है और डेली शो से आया है। यह साफ़ दिखाता है कि पराग इस धारणा से सहमत हैं कि सभी मुस्लिम चरमपंथी नहीं होते और न ही सभी गोरे लोग नस्लभेदी होते हैं।"
मुंबई से अमेरिका
मुंबई के रहने वाले पराग अग्रवाल के पिता परमाणु ऊर्जा विभाग में काम करते थे और उनकी स्कूल की पढ़ाई लिखाई एटमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल में हुई थी।
पराग आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में इंजीनयरिेंग करने के बाद 2005 में अमेरिका चले गए। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
'न्यूयॉर्क टाइम्स' के अनुसार, पीएचडी के दौरान पराग की थीसिस सलाहकार जेनिफ़र विसडम उनके गणित की जानकारी से प्रभावित थीं और उन्होंने उनसे बड़े डेटाबेस से जुड़े काम करने को कहा था।
माइक्रोसॉफ़्ट
पराग माइक्रोसॉफ़्ट, एटी एंड टी और याहू में काम करने के बाद 2011 में ट्विटर से जुड़ गए।
ट्विटर के सीटीओ
वहां उनका काम शोध से जुड़ा हुआ था और उन्होंने आर्टिफ़शियल इंटेलीजेंस पर काम किया। उन्हें 2017 में ट्विटर का चीफ़ टेक्नोलॉजी ऑफ़िसर बना दिया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने मशीन लर्निंग और आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेन्स पर ध्यान दिया।
समझा जाता है कि इस क्षेत्र में उनके काम से प्रभावित हो कर ही उन्हें सीईओ बना दिया गया है।