कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि गुजरात की बीजेपी सरकार राज्य में ज़ितने कोरोना टेस्ट ज़रूरी हैं, उतने नहीं करा रही है। गुजरात हाई कोर्ट भी इस मामले में राज्य की विजय रूपाणी सरकार से उसके द्वारा प्राइवेट लैब को कोरोना का टेस्ट नहीं करने देने के फ़ैसले को लेकर सवाल पूछ चुका है। कोर्ट ने पूछा था कि क्या ऐसा आंकड़ों को कृत्रिम ढंग से नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सांवत ने आरोप लगाया है कि बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश भी गुजरात जैसी ही स्थिति में हैं और और इनकी सरकारों ने कोरोना वायरस के सामने सरेंडर कर दिया है।
सावंत ने कहा कि गुजरात में टेस्ट न होने के अलावा कोरोना के आंकड़ों को भी दबाया जा रहा है। सावंत ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट भी वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार की आलोचना कर चुका है और अस्पतालों को काल कोठरी से बदतर बता चुका है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने महाराष्ट्र सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह सरकार वैज्ञानिक ढंग से काम कर रही है और इसने ताली बजाने और दीया जलाने जैसे काम नहीं किये हैं।
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता लगातार महा विकास अघाडी पर सवाल उठा रहे हैं कि वह कोरोना संकट से निपटने में पूरी तरह फ़ेल साबित हुई है। इस पर सावंत ने कहा कि वे लोग महाराष्ट्र सरकार के प्रदर्शन पर बात करने से पहले फ़ेल हो चुके ‘गुजरात मॉडल’ को देखें। ग़ौरतलब है कि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मामले में लगातार उद्धव ठाकरे सरकार पर हमलावर हैं और राज्यपाल से सरकार की शिकायत कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों की हालत को देखते हुए इस पार्टी के नेताओं को महाराष्ट्र के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। बीजेपी नेता नारायण राणे द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने को लेकर उन्होंने कहा कि यह अचानक नहीं हुआ है और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की चाल है।