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घोषणा पत्र: हिमाचल कांग्रेस ने किए बड़े वादे; क्या जीत मिलेगी?

घोषणा पत्र: हिमाचल कांग्रेस ने किए बड़े वादे; क्या जीत मिलेगी?

हिमाचल प्रदेश में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है। हिमाचल प्रदेश में साल 1985 से अब तक हर विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदलती रही है। देखना होगा कि इस बार क्या होगा?

कांग्रेस ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। घोषणा पत्र में हिमाचल की जनता से तमाम बड़े वादे किए गए हैं। पार्टी ने जो बड़े वादे किए हैं उसमें हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, पहली मंत्रिमंडल बैठक में एक लाख सरकारी नौकरी को मंजूरी, गांव-गांव तक बिजली की आपूर्ति, नोटबंदी और कोरोना से प्रभावित बंद पड़े उद्योगों के लिए विशेष पैकेज आदि अहम हैं। 

हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को वोटिंग होनी है और इस लिहाज से कुछ ही दिन का वक्त चुनाव प्रचार के लिए बचा है। 

इसके अलावा न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 500 रुपए करने, सभी एचएससी, सीएचसी, पीएचसी में स्टाफ, डॉक्टर और अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती करने का वादा भी कांग्रेस ने किया है। 

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मनरेगा की तर्ज पर शहरी आजीविका योजना को लागू करने, व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए व्यापार कल्याण बोर्ड का गठन करने की बात भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कही है। कांग्रेस ने वादा किया है कि सरकार बनने पर मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएंगी और प्रति परिवार 4 गायों तक की खरीद पर सब्सिडी भी दी जाएगी। पार्टी ने वादा किया है कि अगर वह हिमाचल में सरकार बनाने में सफल रही तो इन सभी वादों को पूरा करेगी। 

कांग्रेस ने हिमाचल, हिमाचलियत और हम का नारा दिया है। कांग्रेस ने कोल्ड स्टोरेज नीति, सेब निर्यात नीति बनाने और कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा भी किया है।

घोषणा पत्र को जारी करते वक्त छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्य कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह, पार्टी की प्रवक्ता अलका लांबा सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी की डबल इंजन नहीं ट्रबल इंजन की सरकार है जिसने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। 

हिमाचल में कांग्रेस को इस बार अपने वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह की कमी बहुत खलेगी। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा था और उसे सभी सीटों पर जीत मिली थी। 

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कांग्रेस ने इस साल अप्रैल में संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। जबकि वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। गुटबाजी को दूर करने के लिए छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे। 

कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है लेकिन वह गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं। 

बीजेपी में भी गुटबाजी है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गुट आमने-सामने दिखाई देते हैं।

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बगावत से जूझ रहे कांग्रेस-बीजेपी

बीजेपी में मंडी, बिलासपुर सदर, कांगड़ा, धर्मशाला, झंडुता, चंबा, देहरा, कुल्लू, हमीरपुर, नालागढ़, फतेहपुर, किन्नौर, आनी, सुंदरनगर, नाचन और इंदौरा सीट पर बागी चुनाव मैदान में हैं जबकि कांग्रेस में पछड़, आनी, ठियोग, सुलह, चौपाल, हमीरपुर और अर्की सीटों पर बागी नेता ताल ठोक रहे हैं। साफ है कि बीजेपी में बगावत ज्यादा है।

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आक्रामक चुनाव प्रचार 

बीजेपी हिमाचल प्रदेश में आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हिमाचल प्रदेश में चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल के अलावा महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला हुआ है। 

चुनाव मैदान में सुस्त पड़ी आप

इस साल मार्च में पंजाब के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली आम आदमी पार्टी ने ऐसा लगता है कि हिमाचल प्रदेश में चुनाव मैदान छोड़ दिया है। पंजाब की जीत के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे शुरू किए थे। लेकिन तीन महीने तक वह हिमाचल प्रदेश नहीं आए। हालांकि कुछ दिन पहले उन्होंने सोलन में एक रोड शो किया था। केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश की जनता से तमाम बड़े वादे किए और बड़े बदलावों के लिए एक मौका देने की अपील की थी। 

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