कांग्रेस ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ गुरूवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसमें शामिल रहे। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान और मज़दूर विरोधी बताया और कृषि क़ानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन में पंजाब कांग्रेस के सांसदों की खासी भागीदारी दिखी क्योंकि पंजाब में सात महीने बाद चुनाव होने हैं और वहां कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में पार्टी इस मुद्दे पर पीछे नहीं रहना चाहती। हालांकि उसने पहले भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
दूसरी ओर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दोहराया है कि कृषि क़ानून किसानों के समर्थन में हैं और उनकी आमदनी को बढ़ाने वाले हैं।
अकाली दल भी उठा रहा मुद्दा
दूसरी ओर, शिरोमणि अकाली दल भी कृषि क़ानूनों के मुद्दे को लगातार उठा रहा है। अकाली दल के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि किसान तूफ़ान, गर्मी, बरसात में धरने पर बैठे हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने उनसे बात करने के बजाए उन्हें उनके हाल पर छोड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज सबसे अहम मुद्दा किसानों का है, धरने में 500 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन अभी भी उनके मसले पर बात नहीं की जा रही है और यह बेहद अफ़सोस की बात है।
पंजाब चुनाव में किसान निर्णायक
पंजाब में सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन का चुनाव नतीजों में बेहद अहम रोल रहेगा। किसानों की नाराज़गी मोल लेने के जोख़िम को देखते हुए ही अकाली दल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था जबकि हरियाणा में बीजेपी सरकार के साथ रहने की वजह से दुष्यंत चौटाला लगातार किसानों के निशाने पर हैं।
इसलिए कांग्रेस और अकाली दल इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
सक्रिय है कांग्रेस नेतृत्व
लगातार दो लोकसभा चुनाव में करारी हार और कई राज्यों में पस्त होने के बाद कांग्रेस को किसान आंदोलन से खासी उम्मीद है। इसलिए पार्टी नेतृत्व शुरू से ही किसानों के मसले पर सक्रिय है। विपक्षी दलों में कांग्रेस विशेषकर कृषि क़ानूनों को लेकर मुखर है। राहुल गांधी इस मसले पर पंजाब में ट्रैक्टर यात्रा निकालने से लेकर लगातार ट्वीट कर सरकार पर दबाव बढ़ाते रहे हैं।
राहुल गांधी कह चुके हैं कि केंद्र सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही होंगे। राहुल ने कहा था कि वे किसानों के साथ खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे। कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर उन्होंने पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाक़ात भी की थी और उन्हें दो करोड़ हस्ताक्षर और एक ज्ञापन सौंपा था।
किसानों के आंदोलन को 8 महीने पूरे होने वाले हैं और सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हुए हैं।