कांग्रेस की नागपुर रैली से कई राजनीतिक संकेत जनता को देने की कोशिश रही है। एक तो इसका सीधा संबंध लोकसभा चुनाव से है। गुरुवार 28 दिसंबर को अपने 139वें स्थापना दिवस के मौके पर नागपुर में "हैं तैयार हम" रैली के साथ कांग्रेस अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करने के लिए तैयार है। इस शहर के साथ कांग्रेस का अपना रिश्ता भी है, जो भारत की आजादी से पहले का है। नागपुर में आरएसएस मुख्यालय है, जिसका देश की आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था। नागपुर दीक्षाभूमि भी है, जहां बीआर अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था।
“
28 दिसंबर, 1885 को अपनी स्थापना के बाद से कांग्रेस के लंबे इतिहास में तमाम बड़े घटनाक्रम देखे गए हैं। यह तारीख कांग्रेस के तमाम उतार-चढ़ाव का प्रतीक है। कांग्रेस को कई बार बुरा वक्त देखना पड़ा है, लेकिन जब वो वापस जनता के बीच जाती है तो उसे निराश नहीं होना पड़ता। यह रैली उसी सिलसिले की कड़ी है।
दिसंबर 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर सत्र में महात्मा गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया था। 1959 में नागपुर में आयोजित कांग्रेस के दूसरे सत्र में, इंदिरा गांधी को एआईसीसी प्रमुख के रूप में चुना गया था।
महाराष्ट्र कांग्रेस भव्य रैली के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें देश भर से बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाग लेंगे।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले का कहना है कि “जब भी देश को परेशानी का सामना करना पड़ा, कांग्रेस ने मोर्चा संभाला और देश में एक बड़ा बदलाव आया। आपातकाल के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नागपुर में एक सार्वजनिक बैठक की और कांग्रेस ने तब विदर्भ की सभी सीटें जीत लीं। नागपुर में इतिहास दोहराया जाएगा और देश में एक बड़ा परिवर्तन होगा।”
कांग्रेस ने बुधवार को राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा की घोषणा की है। इस घोषणा के अगले दिन यानी गुरुवार को राहुल नागपुर में होंगे। इसलिए जहां रैली हो रही है, उस मैदान का नाम भारत जोड़ो ग्राउंड रखा गया है। यह मैदान दिघोरी नाका एरिया है, जहां रैली होने जा रही है।
कांग्रेस ने बुधवार को घोषणा की थी कि राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा 2.0 शुरू करने जा रहे हैं, जिसे अब "भारत न्याय यात्रा" नाम दिया गया है। यह यात्रा मणिपुर से मुंबई तक 14 जनवरी से शुरू हो रही है।
कांग्रेस की लोकसभा चुनाव की तैयारी अपने ढंग से चल रही है। हालांकि इंडिया गठबंधन में क्षेत्रीय दलों की हठधर्मिता और अपने स्वार्थों के कारण उसका मामला जम नहीं पा रहा है। नागपुर रैली को पहले इंडिया गठबंधन की रैली करने का प्रस्ताव कांग्रेस ने बाकी दलों को दिया था लेकिन बाकी दल सहमत नहीं हुए। इसलिए कांग्रेस ने इस रैली को अकेले ही आयोजित करने का फैसला किया।
नागपुर चूंकि आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र रहा है। वहीं पर आरएसएस का मुख्यालय भी है। यह सर्वविदित तथ्य है कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में आरएसएस का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान नहीं था तो रैली से कांग्रेस गुरुवार को इस तथ्य को और अच्छी तरह रेखांकित करेगी। आरएएस के नेताओं पर अंग्रेजों के साथ मिलकर चलने के आरोप रहे हैं। कई आरएसएस नेताओं पर ब्रिटिश हुकूमत में माफी मांगकर जेल से बाहर आने तक के आरोप हैं। उन्हें बाद में अंग्रेजों से पेंशन भी मिली।