
नेता विपक्ष राहुल गांधी को संसद में बोलने से क्यों रोका जा रहा है, सांसद स्पीकर से मिले
लोकसभा में बुधवार को कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया गया। इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात की और राहुल को सदन में बोलने का अवसर न दिए जाने के खिलाफ जबरदस्त विरोध दर्ज कराया। यह टकराव उस घटना के बाद हुआ जब दिन में पहले लोकसभा की कार्यवाही अचानक स्थगित कर दी गई, ठीक उसी समय जब गांधी सदन में बोलने की कोशिश कर रहे थे। विपक्ष ने इसे अलोकतांत्रिक कदम करार दिया। राहुल बेरोजगारी का मुद्दा उठाने ही जा रहे थे लेकिन ओम बिड़ला ने कार्यवाही स्थगित की और अपने आसन से उठकर चले गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बचाव में कहा, "आपसे सदन की मर्यादा और पवित्रता के उच्च मानदंडों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। मेरी जानकारी में ऐसे कई मामले हैं जब सांसदों का आचरण सदन की मर्यादा और पवित्रता के उच्च मानदंडों को बनाए रखने के अनुरूप नहीं था। पिता, बेटियां, माताएं, पत्नी और पति इस सदन के सदस्य रहे हैं। इसलिए, इस संदर्भ में मैं विपक्ष के नेता से नियमों के अनुसार आचरण करने की अपेक्षा करता हूं... विपक्ष के नेता से विशेष रूप से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपना आचरण बनाए रखें...।"
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई, महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, व्हिप मणिकम टैगोर और लगभग 70 अन्य सांसद शामिल थे। इन लोगों ने अपनी शिकायतें सीधे स्पीकर बिड़ला के सामने रखीं। यह मुलाकात उस घटना के बाद हुई जब बिड़ला ने गांधी को संसदीय नियमों का पालन करने और सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए टिप्पणी की थी। जैसे ही गांधी जवाब देने के लिए खड़े हुए, स्पीकर ने सत्र स्थगित कर दिया, जिससे कांग्रेस सदस्यों में गुस्सा भड़क गया।
#WATCH | Lok Sabha Speaker Om Birla says, "It is expected of you to uphold the high parameters of decorum and sanctity of the House. There are several incidents in my knowledge when MPs conduct was not in accordance with upholding the high parameters of decorum and sanctity of… pic.twitter.com/kIaOXPXfry
— ANI (@ANI) March 26, 2025
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गांधी ने अपनी नाराजगी जाहिर की और विपक्ष को चुप कराने की व्यवस्थित कोशिश का आरोप लगाया। राहुल ने कहा- "मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है। मैंने उनसे (बिड़ला) से बोलने की अनुमति मांगी, लेकिन वह भाग गए। यह सदन चलाने का तरीका नहीं है।" उन्होंने दावा किया कि स्पीकर ने उनके बारे में "बिना आधार वाली टिप्पणी" की और फिर सत्र स्थगित कर दिया, जिससे उन्हें जवाब देने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा- "एक परंपरा है कि विपक्ष के नेता को बोलने दिया जाता है। लेकिन जब भी मैं बोलने के लिए खड़ा होता हूं, मुझे रोका जाता है। मुझे नहीं पता कि सदन कैसे चल रहा है।"
BREAKING NEWS 🚨
— Amock_ (@Amockx2022) March 26, 2025
Rahul Gandhi hits BJP really hard for suppressing the voice of opposition 🔥
"I told speaker to give me opportunity to speak in loksabha but he turned his back and adjourned the house"
High time RaGa comes on streets against BJP.pic.twitter.com/5iNYpcZeDu
राहुल गांधी ने बताया कि "मैं दो अहम मुद्दों महाकुंभ भगदड़ और बेरोजगारी पर बोलना चाहता था। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ पर बोला, मैं भी उस पर बोलना चाहता था। मैं कहना चाहता था कि कुंभ मेला बहुत अच्छा था। मैं बेरोजगारी पर भी बात करना चाहता था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं दी गई।" उन्होंने स्पीकर के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि "सच यह है कि हमें बोलने नहीं दिया जा रहा। मैं विपक्ष का नेता हूं, हमारी पार्टी मुख्य विपक्षी दल है। यह एक नया तरीका है—जहां लोकतंत्र में विपक्ष और सरकार के लिए जगह होती है, यहां विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं, सिर्फ सरकार के लिए है।"
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा चल रही थी। के.सी. वेणुगोपाल के भाषण के बाद स्पीकर बिरला ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों के व्यवहार पर टिप्पणी की, खास तौर पर गांधी को संबोधित करते हुए। राहुल गांधी को निशाना बनाने की वजह साफ नहीं थी, लेकिन जैसे ही वह जवाब देने के लिए खड़े हुए, बिड़ला ने तुरंत सदन स्थगित कर दिया, जिससे विपक्षी सदस्य हैरान रह गए। यानी बिड़ला यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर राहुल को बोलने से क्यों रोका गया।
कांग्रेस नेताओं ने स्पीकर के इस कदम की कड़ी निंदा की। गौरव गोगोई ने प्रतिनिधिमंडल की ओर से कहा कि बिड़ला लोकतांत्रिक बहस को दबा रहे हैं। स्पीकर का काम सभी की आवाज सुनिश्चित करना है, न कि विपक्ष को दबाना। राहुल गांधी, विपक्ष के नेता के रूप में, लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उन्हें बोलने का अधिकार न देना संसद के मूल तत्व को कमजोर करता है। मणिकम टैगोर ने भी इसे "जवाबदेही से बचने की सोची-समझी कोशिश" करार दिया।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस सांसदों से मुलाकात में भी बिड़ला ने कथित तौर पर अपने रुख का बचाव किया और नियमों की दुहाई देते रहे। मामले की समीक्षा करने का वादा किया।
यह घटना विपक्ष और स्पीकर बिड़ला के बीच लगातार टकरावों की नई कड़ी है। विपक्षी दल इससे पहले आरोप लगा चुके हैं कि स्पीकर बिड़ला सत्तारूढ़ बीजेपी का पक्ष ले रहे हैं। 2023 के शीतकालीन सत्र में 100 से अधिक सांसदों का निलंबन और माइक्रोफोन तक पहुंच को लेकर काफी विवाद हुआ था। विपक्ष का तर्क है कि बिड़ला के कदम सरकार की असहमति को चुप कराने की व्यापक रणनीति को बता रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव भारत के संसदीय लोकतंत्र में गहराती दरारों का संकेत है। स्पीकर की भूमिका संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, लेकिन जब विपक्ष को लगातार दरकिनार किया जाता है, तो यह संस्थान पर भरोसा कम होता जाता है। कांग्रेस के बुधवार के रुख से लग रहा है कि वो अब स्पीकर को निशाने पर लेगी। क्योंकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सहने की भी कोई सीमा होती है।
अभी तक लोकसभा सचिवालय और न ही बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर कोई आधिकारिक जवाब दिया है। हालांकि, इस घटना ने वर्तमान नेतृत्व के तहत संसद के कामकाज पर बहस को फिर से शुरू कर दिया है। बजट सत्र के जारी रहने के साथ, आने वाले दिनों में स्पीकर बिड़ला इन तनावों को कैसे संभालते हैं, इस पर सबकी नजरें टिकी होंगी।
रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी