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सोनिया से मिले पटोले, फ्लोर टेस्ट से गैर हाजिर रहे 11 विधायकों को नोटिस

सोनिया से मिले पटोले, फ्लोर टेस्ट से गैर हाजिर रहे 11 विधायकों को नोटिस

फ्लोर टेस्ट के दौरान इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायक गैर हाजिर क्यों रहे, इसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। 

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। इस दौरान उन्होंने फ्लोर टेस्ट से गैर हाजिर रहे 11 कांग्रेस विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। जिसके बाद कांग्रेस ने इन सभी 11 विधायकों को नोटिस जारी किया है।

सोमवार को जब महाराष्ट्र की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ था तो कांग्रेस के 11 विधायक इससे गैर हाजिर रहे थे। इन विधायकों में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के गैर हाजिर होने के बाद तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। 

अशोक चव्हाण के अलावा गैर हाजिर रहने वाले विधायकों में प्रणीति शिंदे, जितेश अंतापुरकर, विजय वड्डेटीवार, जीशान सिद्दीकी, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू आवाले, मोहन हम्बर्दे, शिरीष चौधरी और माधवराव जावलगांवकर शामिल हैं।

फ्लोर टेस्ट के दौरान एकनाथ शिंदे सरकार को 164 वोट मिले थे जबकि महा विकास आघाडी को सिर्फ 99 वोट मिले थे। इसके बाद महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पटोले को दिल्ली तलब किया गया था। 

पटोले ने सोनिया गांधी के साथ मुलाकात के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण व कुछ अन्य नेताओं के बारे में शिकायत की। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और एआईसीसी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे। 

 - Satya Hindi

नाना पटोले के साथ विधान परिषद के चुनाव में हार का सामना करने वाले चंद्रकांत हंडोरे और महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नसीम खान भी कांग्रेस नेताओं से मिले।

बता दें कि विधान परिषद के चुनाव में चंद्रकांत हंडोरे की जीत को लेकर काफी सवाल उठे थे। चंद्रकांत हंडोरे दलित समाज से आते हैं और उनकी हार को लेकर एक खराब संकेत गया है और कांग्रेस नेतृत्व इसे लेकर चिंतित है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी विधान परिषद के चुनाव में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 

तुरंत नहीं होगी कार्रवाई 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी गैर हाजिर रहे विधायकों के खिलाफ तुरंत किसी कार्रवाई के बारे में विचार नहीं कर रही है लेकिन भविष्य में उन्हें पार्टी की अहम जिम्मेदारियों से दूर रखा जा सकता है।

महा विकास आघाडी सरकार गिरने के बाद शिवसेना पर तो संकट आया ही है। कांग्रेस और एनसीपी की भी महाराष्ट्र की सत्ता में भागीदारी खत्म हो गई है और निश्चित रूप से यह तीनों दलों के लिए एक बड़ा झटका है।

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