दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कथित अवैध फोन टैपिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को जमानत दे दी। चित्रा रामकृष्ण कथित फोन टैपिंग के सीबीआई मामले में पहले से ही जमानत पर हैं। जस्टिस जसमीत सिंह ने उनकी जमानत अर्जी को स्वीकार किया और अपने आदेश में उनको जमानत दे दी।
एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक, जिन्हें कथित एनएसई को-लोकेशन घोटाले में पहले ही सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 14 जुलाई को वर्तमान मामले में गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में ही सीबीआई मामले में उन्हें जमानत दे दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मौजूदा मामले में उनकी जमानत याचिका विरोध यह कहकर किया था कि वह साजिश मास्टरमाइंड थीं।
ईडी के अनुसार, फोन टैपिंग का मामला 2009 से 2017 की अवधि के बीच का है। जब एनएसई के पूर्व सीईओ रवि नारायण, रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर तथा अन्य ने एनएसई और उसके कर्मचारियों को धोखा देने की साजिश की थी। उन्होंने अपने मकसद में इस उद्देश्य के लिए एनएसई की साइबर सिक्योरिटी की कमियों का आवधिक अध्ययन करने की आड़ में एनएसई के कर्मचारियों के फोन टैप करने के लिए आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को काम पर लगाया।
रामकृष्ण ने अपनी जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया कि उनके खिलाफ कोई अनुसूचित अपराध नहीं बनता है। और जो आरोप लगाए हैं वह भी धन शोधन निवारण अधिनियम की कठोरता के दायरे में नहीं आते हैं।
रामकृष्ण को 2009 में संयुक्त एमडी एनएसई के रूप में नियुक्त किया गया था और 31 मार्च, 2013 तक पद पर बने रहीं। उन्हें 1 अप्रैल, 2013 को एमडी और सीईओ के रूप में पदोन्नत किया गया। दिसंबर 2016 तक वह एनएसई में कार्यरत रहीं।