चीन ने एक बार फिर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयास में अड़ंगा लगा दिया। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखे इससे जुड़े प्रस्ताव का बुधवार देर रात तकनीकी आधार पर विरोध किया। यह चौथा मौक़ा है, जब बीजिंग ने किसी न किसी बहाने अज़हर मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं होने दिया है। मसूद अज़हर पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड है और फ़िलहाल पाकिस्तान में है। पुलवामा हमले में भारत के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी।
चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भेजे एक नोट में कहा है कि उसे इस प्रस्ताव पर अध्ययन करने के लिए और अधिक समय चाहिए। इस तरह से यह विरोध सिर्फ तकनीकी आधार पर है। यह प्रस्ताव गिरा नहीं है और इस पर भविष्य में फिर विचार किया जा सकता है। सुरक्षा परिषद ने पहले कहा था कि यदि 13 मार्च तक परिषद के किसी सदस्य ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया तो मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया जाएगा। चीन के और समय माँगने की वजह से यह प्रस्ताव टल गया। सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्यों में से सिर्फ़ चीन ने इस प्रस्ताव को रोका है।
इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम उन देशों के आभारी हैं जिन्होंने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की इस कोशिश में हमारा साथ दिया है।' सूत्रों के मुताबिक़, मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों को 10 से ज़्यादा देशों का समर्थन मिला। बता दें कि भारत जैश-ए-मुहम्मद के मुखिया को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की माँग करता रहा है।
पिछले महीने 27 फ़रवरी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा सेंक्शंस कमेटी के तहत मसूद अज़हर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव फ़्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से लाया गया था।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन और फ़्रांस मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव पहले भी ला चुके हैं, लेकिन चीन के विरोध करने के कारण तब भी मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सका था।
चीन इसके पीछे तर्क देता रहा है कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले कहा था कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
बैठक से पहले अमेरिका ने कहा था कि मसूद अज़हर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का सरगना है और यह संगठन कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका ने कहा था कि जैश क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा है।
जनवरी 2016 में पठानकोट में भारतीय वायु सेना के बेस पर हुए हमले के बाद भारत ने अज़हर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अपनी कोशिशें तेज़ कर दी थीं। इसमें भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का भी समर्थन मिला था, लेकिन चीन ने तब भी इसका विरोध किया था। पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अपनी इस माँग को और मजबूती से उठाया था। जैश-ए-मुहम्मद ने भारतीय संसद, गुजरात के गाँधी नगर में अक्षरधाम मंदिर पर हमले को भी अंजाम दिया था।