पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी कुछ दिन पहले विदेश के दौरे से वापस लौट आए हैं लेकिन उनके वापस लौटते ही पंजाब कांग्रेस में एक नई चिंता खड़ी हो गई है। चिंता यह कि क्या पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर राजनीतिक संघर्ष देखने को मिलेगा। यह चिंता इसलिए खड़ी हुई है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी जल्द ही जेल से बाहर आने वाले हैं।
सिद्धू रोड रेज के एक मामले में बीते कई महीनों से पटियाला जेल में बंद हैं।
द ट्रिब्यून के मुताबिक पंजाब कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि सत्ता के ज्यादा केंद्र होने और पंजाब कांग्रेस के बड़े नेताओं में मतभेद की वजह से ही 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार हुई थी। याद दिलाना होगा कि आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ पंजाब में सरकार बनाई थी।
कुछ दिन पहले यह खबर भी आई थी कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सिद्धू को जेल में एक चिट्ठी भेजी थी। इसके बाद से ही सिद्धू के जेल से निकलने के बाद उन्हें कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था।
लेकिन ऐसी चर्चाओं से प्रदेश कांग्रेस के कई नेता असहज महसूस करने लगे थे।
तो सीधा सवाल यही है कि क्या पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर बड़े नेताओं के बीच टकराव देखने को मिल सकता है। इसे समझने के लिए हमें थोड़ा सा पीछे जाना होगा।
अमरिंदर से भिड़े सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद की जिम्मेदारी दी थी लेकिन सिद्धू तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से उलझते रहे और हालात यहां तक बिगड़े कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा और चरणजीत सिंह चन्नी को इस पद पर नियुक्त किया गया।
कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद थी कि अब नवजोत सिंह सिद्धू नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ मिलकर काम करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सिद्धू ने मीडिया के सामने और चुनावी सभाओं में अपनी सरकार पर तमाम सवाल खड़े करने शुरू कर दिए थे।
सिद्धू चाहते थे कि कांग्रेस पंजाब के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपना चेहरा बनाए लेकिन पार्टी ने जब चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मोहर लगाई तो इसे लेकर सिद्धू खासे नाराज दिखाई दिए।
पंजाब मॉडल रखा आगे
विधानसभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की सरकार के कामकाज पर बात करने की बजाय अपने पंजाब मॉडल का ही जिक्र करते रहे और खुद को पार्टी का सबसे बड़ा नेता और पंजाब का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटे रहे।
चरणजीत सिंह चन्नी भारत आते ही कांग्रेस के द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए और दिल्ली आकर प्रियंका गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मिले। कहा जा रहा है कि चन्नी को कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।
बदले समीकरण
विधानसभा चुनाव में चन्नी मुख्यमंत्री रहते हुए दोनों विधानसभा सीटों से हार गए थे और उसके बाद विदेश चले गए। लेकिन पिछले कुछ महीनों में पंजाब कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद राजनीतिक माहौल बदला है। पंजाब कांग्रेस की कमान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के हाथों में है जबकि नेता प्रतिपक्ष के पद पर प्रताप सिंह बाजवा बैठे हैं।
चन्नी दलित समुदाय से आते हैं और पंजाब में इस समुदाय की आबादी 32 से 34 फीसद है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान इतने अहम वोट बैंक को छिटकने नहीं देना चाहेगा और चन्नी को निश्चित रूप से कोई बड़ी जिम्मेदारी देगा।
जबकि अपनी अलग बोलचाल की शैली के लिए पहचाने जाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को भी पार्टी नेतृत्व पंजाब से बाहर के चुनाव में बतौर स्टार प्रचारक उतारता रहा है और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस नेतृत्व उनसे दूसरे राज्यों में चुनावी प्रचार करा सकता है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व को दोनों ही नेताओं को साथ लेकर चलना होगा।
नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता है तो चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने में भी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व और गांधी परिवार का बड़ा योगदान रहा है। अब जब चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू आने वाले दिनों में पंजाब में सक्रिय होंगे, तो देखना होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले क्या एक बार फिर यह दोनों नेता उलझते दिखाई देंगे या एकजुट होकर पार्टी की मजबूती के लिए काम करेंगे।