कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा को लेकर उठे ढेरों सवालों के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाख़िल कर दिया है। केंद्र ने इसमें कहा है कि राज्यों को कांवड़ियों को एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए, इसके पीछे कोरोना महामारी के कारण बने हालात को वजह बताया गया है।
कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा के कई इलाक़ों से कांवड़िए जल लेने हरिद्वार और दूसरी जगहों पर आते हैं और वापस अपने शहरों में पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर योगी सरकार कांवड़ यात्रा को रोकने पर विचार नहीं करती है तो वह इस मामले में आदेश देने के लिए बाध्य होगी। अदालत ने योगी सरकार से कहा, “वह उसे एक और मौक़ा देती है कि वह यात्रा को रोकने के बारे में विचार करे। हम सभी भारतीय हैं और यह स्वत: संज्ञान संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लिया गया है और यह सभी पर लागू होता है। या तो आप फिर से विचार करें वरना हमें आदेश देना होगा।”
जीवन का अधिकार सर्वोपरि
इस दौरान अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि देश के लोगों का स्वास्थ्य और उनके जीवन का अधिकार सबसे पहले है और राज्य सरकार को कोरोना महामारी के बीच अपने कांवड़ यात्रा के फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। जस्टिस आरएफ़ नरीमन ने कहा कि बाक़ी सभी भावनाएं चाहे वे धार्मिक हों या अन्य कोई और, वे इस मौलिक अधिकार के अधीन हैं।
सवाल उठा था कि कांवड़ यात्रा में आने वाले कांवड़ियों की संख्या जब 3 करोड़ के आसपास है तो कोरोना महामारी के वक़्त में कैसे इसकी इजाजत दी जा सकती है।
जैसे ही उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को हरी झंडी दी, सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि उसने कोरोना के वक़्त में कांवड़ यात्रा कराने के लिए हां क्यों की है।
टैकरों के जरिये बांटें गंगाजल
केंद्र सरकार ने हलफ़नामे में कहा है कि यह पुरानी परंपरा है और धार्मिक आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को टैकरों के जरिये गंगाजल बांटने की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और बाक़ी कोरोना प्रोटोकॉल का भी पालन किया जाना चाहिए।
‘हरिद्वार न आएं कांवड़िए’
उत्तराखंड में लगभग 3 करोड़ कांवड़िए जल लेने जाते हैं, वहां की सरकार ने कांवड़ यात्रा कराने से इनकार कर दिया है लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर हाल में कांवड़ा यात्रा कराना चाहते हैं।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा है कि राज्य की सीमाओं पर पुलिस फ़ोर्स तैनात रहेगी और किसी भी सूरत में लोगों को आने नहीं दिया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, हरिद्वार की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार जिले की सभी सीमाएं सील रहेंगी इसलिए मेले में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है।
पुलिस ने कहा है कि दूसरे प्रदेश से कोई व्यक्ति अगर हरिद्वार पहुंचता है तो नियमों के मुताबिक़ 14 दिन का इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन अनिवार्य है। अगर किसी ने जिले में आने की कोशिश की तो उसके वाहन को जब्त कर लिया जाएगा। एसएसपी ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने पर हरिद्वार पुलिस आपदा प्रबंधन अधिनियिम के तहत क़ानूनी कार्रवाई करेगी।