रेलवे मंत्रालय ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया है। अग्निहोत्री को पिछले साल नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड का प्रबंध निदेशक बनाया गया था। अग्निहोत्री पर यह कार्रवाई अपने पद का दुरुपयोग करने, भ्रष्टाचार के आरोपों और बुलेट ट्रेन के लिए मिले फंड को किसी और काम में इस्तेमाल करने के चलते की गई है।
अग्निहोत्री पर एक निजी कंपनी के साथ डील में भ्रष्टाचार करने के भी आरोप हैं।
3 जून को एक लोकपाल अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह सतीश अग्निहोत्री के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करे। अग्निहोत्री पर सैकड़ों करोड़ रुपए के सरकारी धन की हेराफेरी और गबन करने का भी आरोप है।
लोकपाल की अदालत में सुनवाई के बाद उन्होंने इस तरह के सभी आरोपों को खारिज कर दिया था और शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। लोकपाल की अदालत ने सीबीआई से कहा था कि वह 6 महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट दे।
सतीश अग्निहोत्री 1982 बैच के इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ इंजीनियर्स के अफसर हैं और वह 2018 में नौकरी से रिटायर हुए थे। उन्हें जुलाई 2021 में प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था लेकिन सितंबर 2021 में ही उनके और रेलवे के कुछ बड़े अधिकारियों के खिलाफ लोकपाल को शिकायत मिली थी।
अग्निहोत्री के खिलाफ शिकायत थी कि उन्होंने नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को मोटी रकम वाले ठेके दिए थे।
अग्निहोत्री के खिलाफ एक डील में निजी कंपनी से मुनाफा लेने की शिकायत तब की है जब वह रेल विकास निगम लिमिटेड में चेयरमैन थे। वह इस पद पर जनवरी 2010 से अगस्त 2018 तक रहे थे। अग्निहोत्री और रेलवे के कुछ सीनियर अफसरों पर आरोप है कि रेल विकास निगम लिमिटेड में रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और रेल मंत्रालय से मिले 1100 करोड़ रुपए के फंड को एक निजी कंपनी कृष्णापट्टनम रेल कंपनी लिमिटेड को डायवर्ट कर दिया।