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बजट 2025: राजकोषीय घाटे का लक्ष्य क्या, जानें बजटीय प्रावधानों को

बजट 2025: राजकोषीय घाटे का लक्ष्य क्या, जानें बजटीय प्रावधानों को

बजट 2025 में कुल व्यय कितना निर्धारित किया गया है और राजकोषीय घाटे क्या लक्ष्य रखा गया है। ग्राफिक्स से समझिए प्रमुख वित्तीय घोषणाएं और इसके असर को।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपना रिकॉर्ड लगातार 8वाँ केंद्रीय बजट पेश किया। 2025-26 के बजट में कुल सरकारी व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। यह 2024-25 के संशोधित अनुमानों में 47.16 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा गया है। यह पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों में 4.8 प्रतिशत से कम है।

बजट में कुल पूंजीगत व्यय 11,21,090 करोड़ रुपये है। बजट में यह प्रावधान किया गया है कि बजट में कुल राजस्व प्राप्ति 34,20,409 करोड़ रुपये है। वहीं पूंजीगत प्राप्तियां 16,44,936 करोड़ रुपये हैं। ग्राफिक्स से समझिए बजट में क्या प्रावधान किए गए हैं।

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बजट 2025 में कहाँ से पैसा आएगा और कहाँ जाएगा? इस पैसे का 39 प्रतिशत पैसा डायरेक्ट टैक्स (निगम कर और आयकर) से आता है। 18 फीसदी जीएसटी और अन्य इनडायरेक्टर टैक्स, जबकि 5 प्रतिशत यूनियन एक्साइज ड्यूटीज और 4 प्रतिशत कस्टम ड्यूटीज से आता है। 

इसके अलावा गैर-कर प्राप्तियां से 9 प्रतिश, नॉन डेब्ट कैपिटल से 1 और उधार और अन्य देनदारियों से 24 प्रतिशत पैसा आता है। इसी तरह से ख़र्च के रूप में पैसा जाएगा। ग्राफिक्स से समझिए कि हर एक रुपये में कितना पैसा कहाँ से आएगा और कहाँ पैसा जाएगा।

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आर्थिक सर्वेक्षण में क्या

बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले शुक्रवार को आए आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। सरकार के विभिन्‍न पहल और मौद्रिक नीतिगत उपायों से भारत में खुदरा मुद्रास्‍फीति वित्‍त वर्ष 2024 के 5.4 प्रतिशत से घटकर वित्‍त वर्ष 2025 (अप्रैल से दिसम्‍बर) में 4.9 प्रतिशत पर आ गई है। आर्थिक सर्वेक्षण का कहना है कि मज़बूत बाहरी खाते और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है।

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आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्‍त वर्ष 2026 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित हैं। विकास की प्रतिकूल परिस्थितियों में बढ़ी हुई भू-राजनीतिक, व्यापार अनिश्चितताएँ शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीतिक, विवेकपूर्ण नीति प्रबंधन और घरेलू बुनियादी सिद्धांतों को मज़बूत करने की ज़रूरत होगी।

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