बजट 2025ः विपक्ष ने कहा इसमें नया क्या है, पूछा- बिहार पर ही जोर क्यों
विपक्ष ने शनिवार को कहा कि बजट 2025 में आम लोगों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है और सरकार आगामी बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह दस्तावेज लेकर आई है। मध्य वर्ग को आयकर में जो राहत दी गई है, बिना महंगाई कम किये उस छूट का कोई फायदा नहीं होगा। रोजगार दूर करने का कोई उपाय नहीं किया गया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि बजट के आंकड़ों से ज्यादा जरूरी हमारे लिए महाकुंभ में हुई मौतों का आंकड़ा है। हमने शनिवार को इस मुद्दे को सदन में उठाना चाहा लेकिन हमें उठाने नहीं दिया गया। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा- ''देश में महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी के साथ-साथ सड़क, पानी, शिक्षा, शांति और खुशहाली जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त है। बजट से इन्हें हल करने की जरूरत थी।''
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि बजट में पश्चिम बंगाल के लिए कुछ भी नहीं है। बनर्जी ने कहा- "बजट में आम लोगों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने आगामी बिहार चुनावों को ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया है। पिछली बार भी, सभी घोषणाएं आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए थीं। आंध्र प्रदेश चुनाव खत्म हो गए हैं, बिहार चुनाव आगामी हैं, इसलिए बिहार फोकस में है।''
उन्होंने कहा, "जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है, उसे पिछले 10 साल में कुछ नहीं मिला और न ही आज कुछ मिला। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस तरह से बजट पेश किया गया उससे बहुत भ्रम हुआ है। "
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा- यह सरकार विचारों से दिवालिया है। ग्लोबल अनिश्चितता के बीच हमारे आर्थक संकट को हल करने के लिए एक आदर्श बदलाव की जरूरत है। यह गोली से हुए घाव पर बैंड एड लगाने जैसा है।
A band-aid for bullet wounds!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 1, 2025
Amid global uncertainty, solving our economic crisis demanded a paradigm shift.
But this government is bankrupt of ideas.
डीएमके के लोकसभा सांसद दयानिधि मारन ने बजट को देश के लिए "बड़ी निराशा" बताया। मारन ने कहा- "यह देश के लिए एक बड़ी निराशा है, खासकर मध्यम वर्ग के लिए। वित्त मंत्री का दावा है कि वह 12 लाख रुपये तक कर छूट दे रही हैं, लेकिन अगली पंक्ति में कहा गया कि 8 से 10 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत टैक्स स्लैब है।“
उन्होंने कहा, "चूंकि बिहार चुनाव आ रहे हैं, इसलिए बिहार के लिए बहुत सारी घोषणाएं की गई हैं, जो एक बार फिर बिहार के लोगों को बेवकूफ बना रही हैं। बिहार ने कभी विशेष पैकेज मांगा था। क्या आज तक उसे वो पैकेज मिला।"
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी पंजाब के बजाय बिहार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की आलोचना की। हरसिमरत ने कहा- "राज्यों के नाम देखें - बिहार, जहां चुनाव होने वाले हैं। केवल बिहार, बिहार, बिहार। पंजाब का कोई जिक्र नहीं था। किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर पिछले 4 साल से विरोध प्रदर्शन में बैठे हैं। क्या उन्होंने किसानों के लिए मखाना बोर्ड की घोषणा की है?''
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा- वित्त मंत्री ने 4 इंजनों की बात की: कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात। इतने सारे इंजन कि बजट पूरी तरह से पटरी से उतर गया है। ऐसा लगता है कि बिहार को घोषणाओं का खजाना मिल गया है। यह स्वाभाविक है क्योंकि साल के अंत में वहां चुनाव होने हैं। लेकिन एनडीए के दूसरे स्तंभ यानी आंध्र प्रदेश की इतनी बेरहमी से अनदेखी क्यों की गई?
जयराम रमेश ने कहा कि कई वर्षों तक इस मांग को ठुकराने के बाद ,वित्त मंत्री ने सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 में लागत मानदंडों में संशोधन की घोषणा की है। लेकिन अभी भी कई सारी कमिया हैं। जैसे स्कूलों में नाश्ते को शामिल नहीं किया गया। एक गिलास दूध का प्रावधान था, जैसा कि कर्नाटक में क्षीर भाग्य योजना के जरिये किया जाता है। लेकिन केंद्रीय बजट में यह नहीं है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जाने वाले मानदेय में वृद्धि की मांग केंद्रीय शिक्षा और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय खुद वर्षों से कर रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्रालय ने उन्हें हर बार ठुकरा दिया है। इन बुनियादी प्रावधानों के बिना वित्त मंत्री लोगों में किस तरह के निवेश की कल्पना कर रहे हैं?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा "मुझे लगता है कि बीजीपी बेंच से आपने जो तालियां सुनीं, वह मध्यवर्गीय टैक्स कटौती के लिए थी। हम विवरण देखेंगे। यह एक अच्छी बात हो सकती है। इसलिए यदि आपको वेतन मिलता है तो आपको कम टैक्स देना होगा। लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अगर हमारे पास वेतन नहीं है तो आय कहां से होगी? वास्तव में बेरोजगारी का उल्लेख नहीं किया गया ...।"
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा- ये वही पुराना बजट है, जो हम पिछले 10 साल से सुनते आ रहे हैं। जहां पर शब्दों के अलावा गरीब, किसान, मिडिल क्लास को कुछ नहीं मिलता। टैक्स के जो प्रस्ताव आते हैं, वो सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिकों को फायदा दिलाता है। पहले भी टैक्स में बदलाव किए गए, लेकिन मिडिल क्लास को कोई राहत नहीं मिली। ये बजट पिछले 10 साल का सबसे कमजोर बजट रहा है।