जम्मू कश्मीर में बीजेपी नेताओं पर एक के बाद एक लगातार हमले हो रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों ने बुधवार को एक नगर पार्षद की गोली मारकर हत्या कर दी। जिस समय हमला किया गया उस वक़्त सुरक्षाकर्मी साथ नहीं थे। घाटी के प्रमुख क्षेत्रीय दलों, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी द्वारा स्थानीय चुनावों का बहिष्कार किए जाने के बाद पंडिता को 2018 में त्राल में नगर परिषद के लिए निर्विरोध चुना गया था।
रिपोर्टों के अनुसार आतंकियों ने नगर पार्षद राकेश पंडिता पर तब हमला किया जब वह त्राल क्षेत्र में अपने दोस्त के घर पर थे। आतंकवादी घर में जबरन घुसे और ताबड़तोड़ फ़ायरिंग शुरू कर दी। राकेश पंडिता को गोली लगने के बाद अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई। हमले में एक महिला भी घायल हुई हैं जिनको अस्पताल में भर्ती किया गया है और उनकी हालत स्थिर बताई जाती है।
इस घटना की सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने निंदा की है। उन्होंने कहा है कि हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
पुलिस ने कहा है कि भाजपा नेता राकेश पंडिता को व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी यानी पीएसओ प्रदान किया गया था और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए श्रीनगर के एक होटल में रखा गया था, लेकिन वह सुरक्षा कर्मियों के बिना त्राल क्षेत्र में चले गए।
कश्मीर ज़ोन पुलिस ने एक ट्वीट में कहा है कि पंडिता बिना सुरक्षा कर्मियों के त्राल क्षेत्र में चले गए थे। इसने कहा कि पूरे इलाके को घेर लिया गया है और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आतंकियों की तलाशी जारी है।
इस घटना की नेताओं ने निंदा की है। जम्मू कश्मीर के लेफ़्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने एक बयान में उस घटना की निंदा की है और कहा है, 'आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में कभी कामयाब नहीं होंगे और इस तरह के जघन्य कृत्यों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा।'
पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया, 'यह सुनकर स्तब्ध हूँ कि बीजेपी नेता राकेश पंडिता की आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई है। हिंसा के इन मूर्खतापूर्ण कृत्यों ने जम्मू-कश्मीर को केवल दुख पहुँचाया है। परिवार के प्रति मेरी संवेदना और उनकी आत्मा को शांति मिले।'
हमले की निंदा करते हुए पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने ट्वीट किया, 'एक बार फिर बंदूक़धारियों ने एक ग़ैर हमलावर पर हमला किया। यह बंदूक़ एक अभिशाप है। जरा सोचिए। जिस दिन से यह ख़तरा कश्मीर में आया है हमने क्या देखा है...।'
पिछले साल अगस्त महीने के आसपास चार ऐसे हमले हुए थे जिनमें बीजेपी नेताओं को निशाना बनाया गया था। बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के बडगाम ज़िला अध्यक्ष अब्दुल हमीद नजार पर 10 अगस्त को तब हमला हुआ था जब वह मॉर्निंग वाक पर निकले थे। उससे पहले छह अगस्त को कुलगाम ज़िले में आतंकवादियों ने बीजेपी सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की काजीगुंड में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे एक दिन पहले ही आतंकवादियों ने कुलगाम ज़िले के ही अखरान के बीजेपी सरपंच आरिफ़ अहमद पर हमला कर दिया था।
पिछले साल जुलाई में बांदीपोरा ज़िला में पूर्व बीजेपी ज़िला अध्यक्ष वसीम बारी, उनके पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। जब वे अपनी दुकान के बाहर थे तभी आतंकवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ फ़ायरिंग कर दी थी। बारी को 10 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन हमले के दौरान सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे। उन्हें बाद में निलंबित कर दिया गया था।
कश्मीर की राजनीति में बीजेपी कभी भी महत्वपूर्ण पार्टी नहीं रही, जम्मू के बाहर इसका कोई प्रभाव नहीं रहा है। तो सवाल उठता है कि इसके बावजूद अब क्या हो गया कि वे अलगाववादियों के निशाने पर हैं?