नागरिकता क़ानून: बीजेपी के नंबर का सोशल मीडिया पर बन गया तमाशा

02:54 pm Jan 05, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

ट्वीट चोर नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया कि इस नंबर पर कॉल करो, क्विज़ खेलो और 10 लाख तक का इनाम जीतो। 

कई ट्विटर यूजर ने तो हद कर दी जब उन्होंने कहा कि इस नंबर पर मिस्ड कॉल देकर नेटफ़्लिक्स की ओर से 6 महीने का सबक्रिप्शन मुफ़्त मिल सकता है। उन्होंने यह भी लिखा कि इस नंबर पर कॉल करके उन्हें यूज़रनेम और पासवर्ड मिल जाएगा। यह प्रमोशनल ऑफ़र है और पहले 1000 कॉलर्स के लिए फ़्री है। 

नेटफ़्लिक्स की ओर से 6 महीने का सबक्रिप्शन मुफ़्त मिलने के ट्वीट को कई लोगों ने कॉपी-पेस्ट कर लिया और धड़ाधड़ ट्वीट कर दिया। इससे थोड़ी ही देर में ऐसे ट्वीट की बाढ़ आ गई और नेटफ़्लिक्स को ख़ुद ही आकर कहना पड़ा कि यह पूरी तरह झूठ है और ऐसा कुछ भी नहीं है। 

कई लोगों ने नौकरी के लिए संपर्क करने के लिए इस नंबर को दे दिया तो कुछ लोगों ने कहा कि मोदी जी 15 लाख बाँट रहे हैं, उन्हें मिल गए हैं, अगर आपको चाहिए तो आप इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें। लेखक और निर्देशक अविनाश दास ने कुछ ऐसे ही ट्वीट के स्क्रीनशॉट को पोस्ट किया है। 

इस तरह मिलेगा समर्थन

ऐसे मुद्दे पर जिसे लेकर देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर हों, आंदोलित हों, पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे हों और जोर-जोर से बोलकर बता रहे हों कि वे इस क़ानून के पूरी तरह ख़िलाफ़ हैं, ऐसे में एक नंबर पर मिस्ड कॉल से इस क़ानून के लिए समर्थन जुटाने को कोरी कवायद ही माना जाएगा। क्योंकि ट्विटर पर जिस तरह से इस नंबर के लिए समर्थन जुटाया जा रहा है, वह तो कहीं से भी नहीं बताता कि कोई इसके समर्थन में है। क्योंकि समर्थन करने वाले इस तरह के झूठे ऑफ़र और बातों से ट्वीट कभी नहीं करते। इसलिए कुछ लोगों ने इसके विरोध में एक नंबर जारी किया और कहा कि इस क़ानून का विरोध करने वाले लोग इस नंबर पर मिस्ड कॉल दें। 

बीजेपी अगर उसकी ओर से जारी किए गए इस नंबर पर आई हुई मिस्ड कॉल को यह कहकर प्रचारित करेगी कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने इस क़ानून का समर्थन किया है तो थोड़ी सी भी अकल-बुद्धि रखने वाला व्यक्ति इसे क़तई स्वीकार नहीं करेगा।

कुल मिलाकर बात यहां तक पहुंच चुकी है कि इस क़ानून के समर्थन में भी लोग हैं, यह दिखाने के लिए इस तरह के हथकंडों का सहारा लेना पड़ रहा है और यह निश्चित रूप से दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में के लिए अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे में देश की संसद से पास और राष्ट्रपति के द्वारा हस्ताक्षर किये गए क़ानून की क्या संवैधानिक मान्यता रह जाएगी क्योंकि जब इस तरीक़े से समर्थन जुटाना और दिखाना पड़ेगा तो यह साफ़ समझ आएगा कि क़ानून का समर्थन कम है और विरोध ज़्यादा। और लोग यही कहेंगे कि विरोध को कम दिखाने के लिए ऐसे सस्ते तरीक़ों से समर्थन जुटाया जा रहा है।