क्या कश्मीर से धारा 370 को हटाये जाने के पीछे उसका मुसलिम बहुल होना है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जब ऐसा ही बयान दिया तो इस पर बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। चिदंबरम ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर कहा, ‘बीजेपी इस अनुच्छेद को कभी नहीं हटाती अगर कश्मीर एक हिंदू बहुल राज्य होता और सिर्फ़ मुसलिम बहुल होने के कारण बीजेपी ने यह क़दम उठाया।’ चिदंबरम ने सवाल उठाया कि क्या तमिलनाडु के लोग उसका राज्य का दर्जा ख़त्म कर केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने पर चुप बैठे रहेंगे।
चिदंबरम ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और इसमें कोई शक नहीं है। अगर कोई शक है तो वह सिर्फ़ बीजेपी को लेकर है। जो लोग 72 सालों का इतिहास नहीं जानते, उन्होंने 370 को हटाने का फ़ैसला ताक़त के दम पर किया।’ चिदंबरम ने कहा कि उन्हें इस बात से बेहद दुख हुआ कि सात दलों ने जम्मू-कश्मीर से उसका विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने को लेकर सरकार का समर्थन किया।
चिदंबरम के बयान पर बीजेपी के नेताओं ने जोरदार पलटवार किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि चिदंबरम की भाषा तुष्टिकरण की भाषा है। गिरिराज सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए क़दम सराहनीय हैं और मोदी सरकार का यह क़दम एक भारत-एक क़ानून के अनुरूप है। केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि चिदंबरम के इस बयान से समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस, आतंकवादियों और अलगाववादियों की कितनी गहरी जुगलबंदी थी। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह बयान कांग्रेस की संकीर्ण मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह समझ नहीं आता कि कांग्रेस अब कहाँ जाएगी।
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का राज्य सभा में विरोध किया था। तब राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा था, ‘मैं पीडीपी के सांसदों मीर फ़ैयाज़ और नाज़िर अहमद लावे के भारत के संविधान को फाड़ने की कड़ी निंदा करता हूँ। हम हमेशा भारत के संविधान के साथ खड़े हैं। हम हिंदुस्तान के संविधान की रक्षा के लिए जान की बाज़ी लगा देंगे लेकिन आज बीजेपी ने संविधान की हत्या कर दी है।’
कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे को लेकर अलग-अलग सुर सुनाई दिये थे। कांग्रेस के महासचिव रहे जनार्दन द्विवेदी ने कहा था कि आज़ादी के बाद बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। उन्होंने कहा था कि एक भूल जो आज़ादी के समय हुई थी, उस भूल को देर से सही लेकिन सुधारा गया और यह स्वागत योग्य क़दम है। हालाँकि उन्होंने कहा था कि यह पूरी तरह उनकी निजी राय है।
इसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कालिता ने भी इस मुद्दे पर इस्तीफ़ा दे दिया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे और पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी इसे हटाने के फ़ैसले का समर्थन किया था। हुड्डा ने कहा था कि उनके मुताबिक़, 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 के लिए कोई कोई जगह नहीं है और इसको हटा देना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सरकार के इस फ़ैसले का समर्थन किया था।