भाजपा फिर कट्टर हिन्दुत्व के रास्ते पर, योगी ने कहा, 'ज्ञानवापी को मस्जिद मत कहिए'
पीएम मोदी ने शनिवार को हरियाणा में धारा 370 के नाम पर वोट मांगे। उनकी रैली कश्मीर के डोडा में भी थी लेकिन वहां उन्होंने इसका कोई जिक्र नहीं किया। हरियाणा में मोदी ने कहा कि कांग्रेस को अगर लोगों ने जिताया तो वो जम्मू कश्मीर में धारा 370 फिर से लागू कर देगी। इससे पहले दिन में मोदी ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वो दुर्गा की मूर्ति के सामने गोमाता के बच्चे को प्यार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पीएम आवास में इस गोमाता का जन्म आज ही हुआ है। यह सब अभी चल ही रहा था कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने बयान के साथ सामने आये। जब से योगी के लिए भाजपा के नेताओं ने ही नेतृत्व की चुनौती पेश की, तभी से योगी भी खुद को कट्टर हिन्दू नेता के रूप में पेश करने में जुटे हुए हैं। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि मोदी और योगी में कौन कट्टर हिन्दू नेता का मुकाबला चल रहा है।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है - गाव: सर्वसुख प्रदा:'।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 14, 2024
लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है।
प्रधानमंत्री आवास में प्रिय गौ माता ने एक नव वत्सा को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है।
इसलिए, मैंने इसका नाम 'दीपज्योति'… pic.twitter.com/NhAJ4DDq8K
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना "दुर्भाग्यपूर्ण" है। उन्होंने इसे "भगवान विश्वनाथ का अवतार" करार दिया।
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का योगदान' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं जबकि भगवान विश्वनाथ खुद अवतार हैं।'' सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बुलडोजर न्याय को लेकर तीखी टिप्पणियां की थीं। योगी ने बुलडोजर न्याय का बचाव करते हुए कहा था कि बुलडोजर दिल और दिमाग से चलाया जाता है।
योगी के बयान का फौरन ही स्वागत होने लगा। उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, ''ऐतिहासिक, पुरातात्विक और आध्यात्मिक साक्ष्य स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि ज्ञानवापी एक मंदिर है।'' अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने कहा, "यह केवल दुर्भाग्यशाली लोग हैं जो ज्ञानवापी को मस्जिद कह रहे हैं। यह स्वयं विश्वनाथ हैं, और काशी विश्वनाथ का मंदिर है। यहां तक कि अगर कोई अंधा व्यक्ति भी ढांचे पर अपना हाथ रखता है। उसे 'सनातन' के सभी प्रतीकों का आभास हो जायेगा।
महंत ने कहा कि "हम लगातार कहते आ रहे हैं कि यह मंदिर है, मूर्ख लोग ही इसे मस्जिद कहते हैं।"
इस साल जनवरी में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि "मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले 17वीं शताब्दी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था"। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पत्थरों से बनी और मोल्डिंग से सजी पश्चिमी दीवार, पहले के हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है।
ज्ञानवापी मुद्दा लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई के केंद्र में रहा है, जिसमें हिंदू पक्ष का तर्क है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद कथित तौर पर पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी, जबकि मुस्लिम पक्ष ने दावे का विरोध किया है।