इस समय पूरे मीडिया जगत में यही सवाल तैर रहा है कि क्या नीतीश कुमार पलटी मारकर एक बार फिर एनडीए में जाएंगे लेकिन कोई यह सवाल नहीं कर रहा कि नीतीश कुमार के लिए अपना दरवाजा बंद करने की घोषणा करने वाली भारतीय जनता पार्टी पलटी मारेगी? क्या वह पलटी मारते हुए ऐसे बहाने ढूंढ रही है जिससे नीतीश कुमार को वापस एनडीए में ले आए?
ऐसे में यह सवाल भी पैदा होता है कि आखिर बीजेपी किस मजबूरी में फंस गई है कि यह नौबत आ गई कि वह नीतीश के लिए बंद दरवाज़े को खोलने को तैयार हो गई।
पलटी मारने के इतिहास के कारण नीतीश कुमार के बारे में यह बात आसानी से कही जा सकती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा कही गई बात पर भी सवाल करना जरूरी है।
नीतीश के लिए दरवाजा बंद करने की घोषणा भाजपा के किसी मामूली नेता ने नहीं बल्कि पार्टी के दूसरे सबसे सशक्त नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी। अमित शाह ने कहा था, “बहुत हो गया नीतीश कुमार का ‘आया राम, गया राम’, अब उनके लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर दिए गए हैं।”
इससे पहले 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के डीएनए के बारे में सवाल खड़ा किया था। उस वर्ष नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव लालू प्रसाद के साथ और भाजपा के विरुद्ध लड़ा था लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने पलटी मारी तो भाजपा उनकी सारी आलोचनाओं को दरकिनार करते हैं, उनके साथ हो गई। 2017 से 9 अगस्त 2022 तक भाजपा और नीतीश एक साथ रहे लेकिन उसके बाद नीतीश कुमार ने फिर पलटी मार दी।
इसके बाद से भारतीय जनता पार्टी के नेता कहते आए थे कि अब नीतीश कुमार के साथ कभी साथ नहीं जाएंगे। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार को साथ लाती है तो पलटी मारने का आरोप उस पर भी लगेगा।
विवादास्पद बयान देने के लिए बदनाम मंत्री गिरिराज सिंह ने साफ तौर पर नीतीश कुमार की वापसी को लेकर तंज कसा है। गिरिराज सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार वास्तव में भारतीय जनता पार्टी का डर दिखाकर इंडिया गठबंधन में अपना भाव बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कहते हैं कि ‘मैं मायके चली जाऊंगी’ लेकिन मायके (भाजपा) का दरवाजा उनके लिए बंद है।
बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी साफा बांधते हैं और उन्होंने यह घोषणा कर रखी है कि जब तक नीतीश कुमार को गद्दी से नहीं हटाएंगे तब तक वह साफा नहीं खोलेंगे। तो क्या नीतीश कुमार गद्दी से हटेंगे और सम्राट चौधरी का साफा खुलेगा? या सम्राट चौधरी अपने साफा के साथ नीतीश कुमार का वापस भाजपा में स्वागत करेंगे?
यह सवाल भी अहम है कि आखिर सम्राट चौधरी और भाजपा के दूसरे बड़े नेताओं को दिल्ली क्यों तलब किया गया और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से उनकी मुलाकात किस बात पर हुई?
कुछ लोगों का कहना है कि यह वास्तव में एक राजनीतिक कदम है ताकि इंडिया गठबंधन के बारे में यह संदेश दिया जा सके कि वहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इस बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर भी बात हुई होगी और इसकी भी संभावना है कि सबसे यह राय ली गई हो कि बिहार में नीतीश कुमार को साथ कैसे लिया जाए।
ईबीसी वोटरों पर है नीतीश की अच्छी पकड़
इस समय भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर के उद्घाटन के बाद एक लहर पर सवार है। इसके बावजूद नीतीश कुमार को अगर अपने साथ करना चाहती है तो इससे दो सवाल पैदा होते हैं। एक यह कि क्या वह महज राम लहर से बिहार में चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के प्रति आश्वस्त नहीं है?दूसरा यह कि क्या कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बाद भी उसे यह यकीन नहीं है कि ईबीसी वोट उसके साथ आएगा? ध्यान रहे की ईबीसी वोटरों पर नीतीश कुमार की अच्छी पकड़ मानी जाती है और भारतीय जनता पार्टी को शायद यह लग रहा हो कि उन्हें अपने साथ किए बिना ईबीसी वोट नहीं पाया जा सकता है। बहरहाल, भ्रम फैलाना जब राजनीति का एक अहम हिस्सा हो तो ऐसे में कुछ कहना मुश्किल हो जाता है।
क्या नीतीश कुमार के लिए दरवाजा बंद करने की नीति से पलटी मारने के और संकेत भी भारतीय जनता पार्टी की ओर से दिए गए हैं? इस बारे में फिर अमित शाह की वह बात याद की जाएगी जिसमें उनसे हाल ही में पूछा गया था कि क्या नीतीश कुमार को वापस एनडीए में लाया जा सकता है तो उन्होंने जवाब दिया था कि प्रस्ताव आएगा तो विचार होगा।
लंबे समय तक नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री रहे भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने भी इस बारे में गोल-मोल बयान देते हुए कहा कि जो फैसला होगा वह बिहार के हित में होगा। हालांकि कुछ ही समय पहले उन्होंने विधान परिषद में जन्म दर पर दिए गए नीतीश कुमार के विवादास्पद बयान के लिए उनकी तीखी आलोचना की थी।
जो लोग यह कहते हैं कि नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो सकते हैं वे यह तर्क दे रहे हैं कि यह भाजपा की इस रणनीति का हिस्सा है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के बहाने नीतीश कुमार को एनडीए में वापस लाने का एक कारण दिया जाए।
नीतीश ने पीएम मोदी को भी धन्यवाद दिया था
ध्यान रहे की कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद नीतीश कुमार ने पहले केंद्र सरकार को धन्यवाद देने के लिए पोस्ट जारी किया था लेकिन बाद में उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद दिया।इसके अलावा परिवारवाद पर नीतीश कुमार के बयान को भी लालू प्रसाद परिवार पर हमला माना गया हालांकि जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य के पोस्ट के बारे में भी उन्होंने कहा कि वह बच्चों की बात पर ध्यान नहीं देते।
अगर भाजपा पलटी मारते हुए नीतीश कुमार को अपने पाले में लाती है तो उन्हें क्या ऑफर देगी? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि नीतीश बाबू आपकी दाल नहीं गलने वाली है और प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का पद भी अभी खाली होने वाला नहीं है। नीतीश कुमार ऐसे व्यक्ति नहीं जो राज्यपाल का पद लेने के लिए मुख्यमंत्री का पद छोड़ दें। यह एक ऐसा सवाल है जिसके कारण यह मानना मुश्किल होता है कि नीतीश कुमार के लिए पलटी मारना उनके राजनीतिक विकल्पों में नहीं है।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार दरअसल अब भी इंडिया गठबंधन में अपनी हैसियत बढ़ाने के लिए ऐसी अफवाहों को बढ़ावा दे रहे हैं। दूसरी और भाजपा और उसके सहयोगी की रणनीति यह है कि इसी बहाने नीतीश कुमार की छवि को और बिगाड़ा जाए। नीतीश कुमार एनडीए के साथ जाते हैं या नहीं, दोनों स्थिति में इन अफवाहों से उनका ही नुकसान होगा।