एक बाहुबली को रोकने के लिए दूसरे बाहुबली का इस्तेमाल कर रहा है जदयू?

09:01 pm Feb 18, 2019 | रमाशंकर - सत्य हिन्दी

मोकामा के बाहुबली एवं निर्दलीय विधायक अनंत सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पंगा लेना महंगा पड़ सकता है। उनको घेरने की प्रशासनिक कवायद तो चल ही रही है, अब उनके जोश जौर जुनून पर भी नकेल डालने की मुहिम शुरू हो गई है। अंदरखाने यह ख़बर आई है कि जदयू ने मोकामा के ही दूसरे बाहुबली और 'इंडियाज मोस्ट वांटेड' रहे नलिनी रंजन शर्मा उर्फ़ ललन सिंह को पार्टी का दामन थामने के लिए राजी कर लिया है।

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  • नलिनी रंजन शर्मा उर्फ़ ललन सिंह मोकामा के बहुचर्चित डॉन और पूर्व एलजेपी सांसद सूरजभान सिंह के छोटे भाई हैं। उनके विरुद्ध दर्जनों आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। नलिनी की भाभी एवं सूरजभान की पत्नी वीणा देवी अभी मुंगेर से एमपी हैं। ज्ञात हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार और नीतीश के क़रीबी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को वीणा देवी ने बुरी तरह हराया था।

अनंत को घेरने की कोशिश

अनंत सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर सीट से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है तो यह बात जेडीयू के मंत्री ललन सिंह को गंवारा नहीं हुई। इसी को लेकर जेडीयू ने अनंत सिंंह को चौतरफ़ा घेरने की कवायद शुरू कर दी। शुरू में बाढ़ पुलिस ने अनंत के क़रीबियों के ठिकानों पर छापे मारे और असलहों का जख़ीरा बरामद किया। इससे भी अनंत सिंह का मनोबल नहीं टूटा तो सूरजभान के भाई को पार्टी ज्वाइन कराने की पहल की गई।

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ललन और अनंत सिंह में ठनी

नीतीश के मंत्री ललन सिंंह मुंगेर से जेडीयू के उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में ललन सिंह को सूरजभान की ज़रूरत पड़ सकती है। वीणा देवी ने अनंत सिंह को पहले ही ललकारते हुए कहा था कि वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। अनंत पूर्व में नीतीश के क़रीबी रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने कांग्रेस का दामन थामने की घोषणा की है। साथ ही वह किसी भी क़ीमत पर अपने पूर्व मित्र ललन सिंह को नुकसान पहुँचाने की घोषणा कर चुके हैं। बस इसी बात को लेकर क़रीब डेढ़ माह से बिहार की सियासत में बवाल मचा हुआ है।

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15 मामलों में फरार थे नलिनी 

नलिनी रंजन तब सुर्ख़ियों में आए थे जब वह जी टीवी के मशहूर क्राइम शो 'इंडियाज मोस्ट वांटेड' की कवर स्टोरी बने थे। हालाँकि बात पुरानी है लेकिन उस समय वह हत्या, रंगदारी एवं लूट के 15 मामलों में फ़रार रहते हुए पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे।

नलिनी रंजन ने 2015 का विधानसभा चुनाव मोकामा सीट से जन अधिकार पार्टी के टिकट पर लड़ा था। इससे पहले नलिनी ने लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे।

  • 15 अप्रैल 2014 को आर्थिक अपराध इकाई ने पटना के डाकबंगला स्थित कौशल्या एस्टेट से नलिनी रंजन को गिरफ़्तार किया था। नलिनी रंजन पर कुख्यात शंभू-मंटू गिरोह से भी साठगांठ रखने का आरोप है। आर्थिक अपराध इकाई ने शंभू-मंटू एवँ नलिनी रंजन के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था।

‘सुशासन बाबू’ के लिए भी चुनौती

यह अलग बात है कि अभी तक किसी भी कांड में कोर्ट ने नलिनी रंजन को दोषी क़रार नहीं दिया है। चर्चा है कि बाढ़ में सीएम नीतीश कुमार की अनुपस्थिति में होने वाले जदयू के कार्यक्रम में नलिनी रंजन पार्टी में शामिल हो सकते हैं। इस चर्चा ने राजनीतिक गलियारों में ‘सुशासन बाबू’ की छवि रखने वाले नीतीश कुमार के सामने भी एक चुनौती को जन्म दे दिया है।