चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा है कि वह बिहार में 3000 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। उनकी यह पदयात्रा 2 अक्टूबर से पश्चिमी चंपारण में स्थित गांधी आश्रम से शुरू होगी। प्रशांत किशोर ने कहा कि वह अभी किसी राजनीतिक दल का गठन नहीं करेंगे।
प्रशांत किशोर ने कुछ दिन पहले ट्वीट कर कहा था कि लोकतंत्र के असली मास्टर्स के पास जाने का समय आ गया है जिससे लोगों के मुद्दों को बेहतर ढंग से समझा जा सके और जन सुराज के पथ पर आगे बढ़ा जा सके।
उन्होंने कहा कि बिहार के गांवों, शहरों, घरों तक पहुंचना बहुत जरूरी है। चुनाव रणनीतिकार ने कहा कि पद यात्रा के दौरान वह लोगों की समस्याओं और उनकी अपेक्षाओं को जानने की कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस दौरान वह हजारों लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने की कोशिश करेंगे और इस पदयात्रा में 8 महीने से 1 साल तक का वक्त लग सकता है।
किशोर ने कहा कि पिछली बार उन्होंने बात बिहार की कार्यक्रम की घोषणा की थी लेकिन तब कोरोना की वजह से वह इस कार्यक्रम को नहीं कर पाए थे और अब हालात सामान्य हो गए हैं तो वह बिहार को समझने के लिए निकल रहे हैं।
किशोर ने कहा कि वह अपनी पूरी समझ और पूरे राजनीतिक कौशल को बिहार के लोगों को समर्पित कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर की बीते दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ कई दौर की वार्ता हुई लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर चल रही अटकलें सिर्फ अटकलों तक ही सीमित रह गईं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में एक नई व्यवस्था बनाने के लिए उन्हें तीन-चार साल तक काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उनका पूरा फोकस बिहार के लोगों से मिलना, उनकी बात को समझना और जन सुराज की परिकल्पना के साथ उनको जोड़ना है। चुनाव रणनीतिकार ने कहा कि उनके पास एक नई सोच है और जो लोग भी इससे जुड़ना चाहते हैं उनका स्वागत है।
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ लंबे वक्त तक काम किया है और वह जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं।
राजनीतिक तैयारी?
3 हजार किमी. की लंबी पदयात्रा के एलान के बाद यह सवाल उठता है कि क्या प्रशांत किशोर बिहार में अपने लिए राजनीतिक आधार तैयार कर रहे हैं। क्या प्रशांत किशोर राजनीति में उतरेंगे और क्या वह अपनी एक अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ेंगे।
प्रशांत किशोर ने अगले तीन-चार साल तक काम करने की बात कह कर इस बात के साफ संकेत दिए हैं कि वह बिहार को नहीं छोड़ेंगे और यहां टिके रहेंगे। देखना होगा कि प्रशांत किशोर की पदयात्रा को कितना जन समर्थन मिलता है।