पटना हाइकोर्ट के जज जस्टिस संदीप कुमार सुर्खियों में हैं। उन्होंने बुलडोजर की कार्रवाई के ख़िलाफ़ सख़्त फ़ैसला दिया है और कड़ी टिप्पणी की है। एक याचिकाकर्ता के घर को 'अवैध रूप से' ध्वस्त करने के लिए पटना के एक पुलिस स्टेशन के अधिकारियों से नाराज पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा, 'यहाँ भी बुलडोजर चलने लगा... आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, सरकार का या किसी निजी व्यक्ति का? तमाशा बना दिया कि किसी का घर बुलडोजर से तोड़ देंगे।'
इस फ़ैसले के लिए जस्टिस संदीप कुमार के लिए सोशल मीडिया पर लोगों ने एक से बढ़कर एक तारीफ़ की। विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया, "पटना हाईकोर्ट के जज संदीप कुमार तक हज़ारों हज़ार सलाम पहुँचे। 'बुलडोज़र ही चलाना है तो अदालतों को बंद कर दें क्या?' हर अदालत में ऐसे दो-चार जज हो जाएँ तो इस देश की तस्वीर ही बदल जाए।"
आदेश 24 नवंबर को लिखा गया था, लेकिन इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो क्लिप में जस्टिस कुमार को यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'यहाँ भी बुलडोजर चलने लगा, ऐसा कौन शक्तिशाली आदमी है जो बुलडोजर लेकर तोड़ दिया उसका। आप किसका प्रतिनिधित्व करते हैं? सरकार या निजी व्यक्ति?...'
उन्होंने पूछा कि, 'क्या पुलिस थाने को भी भूमि विवाद के मामलों को सुलझाने की शक्ति दी गई है? अगर किसी को कोई दिक्कत है तो वह थाने जाएगा, रिश्वत देगा और किसी का घर तोड़ देगा। आप कोर्ट, सिविल कोर्ट को बंद क्यों नहीं कर देते?'
जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर भी जमीन खाली करने का दबाव डाला गया और एक झूठी एफ़आईआर भी दर्ज की गई, तो न्यायमूर्ति कुमार ने कहा, 'बहुत अच्छे ...मैं यहां आपकी रक्षा के लिए हूं, आपको परेशान करने के लिए नहीं।' उन्होंने कहा, 'हम आपको प्रत्येक की जेब से 5 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाएँगे… पुलिस और सीओ मिलकर घर तुड़वा रहा है घूस लेकर।'
न्यायमूर्ति कुमार ने पटना की अगमकुआं पुलिस को 'कुछ भू-माफियाओं के साथ हाथ मिलाने और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना याचिकाकर्ता के घर को अवैध रूप से ध्वस्त करने' के लिए फटकार लगाई। याचिकाकर्ता सहयोगा देवी हैं, जिनका घर 15 अक्टूबर को ढहा दिया गया था।
हाईकोर्ट ने 8 दिसंबर को एसपी, ईस्ट, अंचल अधिकारी और अगमकुआं थाना प्रभारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अगर पता चलता है कि घर को ग़लत तरीक़े से तोड़ा गया है तो वह यह सुनिश्चित करेगा कि याचिकाकर्ता को इसमें शामिल प्रत्येक अधिकारी की जेब से 5 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।