+
नीतीश कुमार क्यों बार-बार पीएम मोदी के पैर छूने की कोशिश कर रहे हैं?

नीतीश कुमार क्यों बार-बार पीएम मोदी के पैर छूने की कोशिश कर रहे हैं?

नीतीश कुमार की गतिविधियों को लेकर जेडीयू कुछ परेशान नजर आ रही है। बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बुधवार को बिहार के कार्यक्रम में पीएम मोदी का पैर छूने की कोशिश की। यह ऐसा पहला मौका नहीं है। बीच-बीच में नीतीश के एनडीए छोड़ने की अफवाहें उड़ती हैं लेकिन उसके बाद वो किसी न किसी कार्यक्रम में मोदी का पैर छूने की कोशिश करते नजर आते हैं। इन दिनों नीतीश के अस्वस्थ्य होने की खबरें फैली हुई हैं। लेकिन उसका खंडन या पुष्टि जेडीयू की ओर से नहीं की जा रही है। भाजपा ने रहस्यमय चुप्पी साध रखी है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा के एक कार्यक्रम में उस समय सभी को हैरान कर दिया जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, 73 साल के नीतीश कुमार, 74 साल के पीएम मोदी की ओर हाथ जोड़कर चलते हैं और उनके पैर छूने के लिए झुकते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह तीसरी घटना है।

हालांकि, पीएम मोदी ने बुधवार की घटना में फौरन ही जेडीयू नेता को पैर छूने से रोक दिया और और उनसे हाथ मिलाया। उसी कार्यक्रम का एक और वीडियो वायरल हुआ है जिसमें पार्टी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री को माला पहना रहे हैं और मोदी नीतीश कुमार को अपनी तरफ खींचते दिख रहे हैं।

इस घटना पर टिप्पणी करते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा- "मैं इसके बारे में क्या कहूं? वह कर्मचारियों के पैर भी छूते हैं। अगर वह पीएम के पैर छूते हैं तो इसमें कौन सी बड़ी बात है?"

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि नीतीश कुमार ने ऐसा किया है। जून में, नीतीश कुमार ने संसद के सेंट्रल हॉल में उपस्थित सभी लोगों को हैरान कर दिया जब उन्होंने मोदी के पैर छूने की कोशिश की। उन्होंने इस साल अप्रैल में नवादा में एक लोकसभा चुनाव रैली में पीएम मोदी के पैर भी छुए थे।

नीतीश कुमार की जेडीयू लोकसभा चुनाव में भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी बनकर उभरी और इस साल लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में मदद की। भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही और बहुमत के आंकड़े को पार करने के लिए जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पर निर्भर है।

बिहार में बीजेपी की मदद से चल रही नीतीश कुमार की सरकार को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है। कभी तो नीतीश कुमार की बीमारी को लेकर अफवाहें फैलती हैं तो कभी उनके एनडीए से बाहर निकलने की अफवाह फैलती है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और उससे पहले तमाम राजनीतिक दल अपनी गोटियां बिछाने में लगे हैं। नीतीश कुमार को इन दिनों अपने सरकारी दफ्तर में कम देखा जा रहा है और वो घर से सरकार का संचालन करते नजर आ रहे हैं। 

विपक्ष के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार पहले मोदी से इस तरह नहीं मिलते थे, लेकिन जब से उनकी पार्टी का भाजपा से गठबंधन हुआ है वो पैर छूने की तरफ बढ़ गए हैं। लोगों का सवाल है कि नीतीश की ऐसी क्या मजबूरी है जो उन्हें पीएम मोदी के पैर छूने पड़ रहे हैं। लेकिन इसका जवाब अभी तक नहीं मिला।

बुधवार को पैर छूने की कोशिश की घटना दरभंगा में एक कार्यक्रम में हुई जहां पीएम मोदी ने एम्स की नींव रखी और लगभग 12,100 करोड़ रुपये की कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में, पीएम मोदी ने बिहार को बदलने और इसे "जंगल राज" से बाहर निकालने के लिए नीतीश कुमार की तारीफ की। यह एक तरह से आरजेडी और लालू प्रसाद यादव पर कटाक्ष था। क्योंकि भाजपा जंगल राज के लिए लालू यादव को जिम्मेदार ठहराती है। मोदी ने कहा- "नीतीश कुमार ने राज्य को जंगल राज के युग से बाहर निकालकर सुशासन का एक मॉडल स्थापित किया है। इस उपलब्धि के लिए जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है।"

प्रधानमंत्री ने एनडीए शासन के तहत बिहार के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार पर भी प्रकाश डाला। मोदी ने कहा, "बिहार में बहुत विकास हो रहा है। बिहार में पिछली सरकार ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के बारे में कभी चिंता नहीं की। उन्होंने झूठे वादे किए, लेकिन नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद से स्थिति में सुधार हुआ है।"

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें