नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। दो मौजूदा सांसदों का टिकट काटा गया है। यह घोषणा पटना में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने जदयू के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में की। एनडीए गठबंधन में जेडीयू को इतनी ही सीटें मिली हैं। कुछ दिन पहले ही एनडीए में सीट बँटवारा हो पाया है।
एनडीए में काफी जद्दोजहद के बाद हफ़्ते भर पहले हुए सीट-बँटवारे समझौते के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जदयू 16 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। गठबंधन में चिराग पासवान की पार्टी ने भी बाजी मारी है।
समझौते के अनुसार चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को एक-एक सीट मिली। पशुपति पारस के नेतृत्व वाले एलजेपी गुट को कोई भी टिकट नहीं मिला है और वह एनडीए से अलग हो गया है।
बहरहाल, जेडीयू की इस सूची में दो ऐसे दलबदलू भी शामिल हैं जो हाल ही में विपक्षी दलों से आए हैं। जिन सीटों पर मौजूदा सांसदों को हटा दिया गया है, वे सीटें हैं- सीतामढ़ी और सीवान। सीतामढ़ी में विधान परिषद के अध्यक्ष देवेश चंद्र ठाकुर जदयू के उम्मीदवार होंगे, और सीवान में विजय लक्ष्मी कुशवाहा को अपने पति रमेश के साथ पार्टी में शामिल होने के ठीक एक दिन बाद टिकट मिला।
एक और दलबदलू नेता जिन्हें टिकट दिया गया है वह हैं लवली आनंद। वह इस महीने की शुरुआत में आरजेडी छोड़कर जदयू में शामिल हो गई थीं। वह शिवहर से चुनाव लड़ेंगी।
जदयू वाल्मिकी नगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर सीटों पर चुनाव लड़ेगा। सीट बँटवारे के समझौते के अनुसार, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, बेगुसराय, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम उन प्रमुख सीटों में से हैं जहां भाजपा उम्मीदवार मैदान में उतारेगी।
बिहार में इस बार भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जद (यू) की तुलना में एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों में दोनों प्रमुख सहयोगियों ने समान संख्या में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2019 में एनडीए ने 54.34% का संयुक्त वोट शेयर हासिल किया था और चुनावों में जीत हासिल की थी। बीजेपी और एलजेपी ने उन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, जिन पर उन्होंने चुनाव लड़ा था, जबकि जेडी (यू) केवल 1 सीट से पीछे रह गई थी, जो कांग्रेस के खाते में चली गई थी।