नीतीश के जेडीयू का बीजेपी पर हमला, गठबंधन में तनाव बढ़ा

09:57 pm Aug 07, 2022 | सत्य ब्यूरो

नीतीश कुमार के जेडीयू और बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है! पहले तो ख़बर आई कि नीतीश रविवार को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए, देर शाम होते-होते जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बीजेपी पर तीखा हमला किया। इसके साथ ही एक ख़बर यह भी आई कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को जदयू के सभी विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीजेपी के साथ उनकी बढ़ती तनातनी नई ऊँचाई पर पहुँच गई है क्या। 

मौजूदा समय में जेडीयू और बीजेपी के बीच जो तनाव की वजहें हैं उसमें से एक यह है कि बीजेपी केंद्र सरकार में जेडीयू को सांकेतिक प्रतिनिधित्व दे रही है। यह प्रतिनिधित्व जेडीयू के पूर्व नेता और नीतीश के क़रीबी रहे आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री के तौर पर दिया गया था। लेकिन जेडीयू ने पिछले महीने आरसीपी सिंह को राज्यसभा सीट देने से इनकार कर दिया था। इसी को लेकर आरसीपी सिंह ने जदयू को अलविदा कह दिया।

पद छोड़ते हुए आरसीपी सिंह ने कहा था, 'मेरे खिलाफ एक साजिश है क्योंकि मैं केंद्रीय मंत्री बना। मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि ईर्ष्या का कोई इलाज नहीं है।' आरसीपी सिंह ने जदयू को डूबता जहाज बताते हुए कहा था, 'नीतीश कुमार अपने सात जन्म में भी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।'

इस पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह जवाबी हमला करने उतरे। हाल के दिनों में नीतीश के खिलाफ दो साजिशों का दावा करते हुए ललन सिंह ने कहा कि आने वाले चुनावों में दोनों पार्टियां एक साथ लड़ेंगी या नहीं, यह सवाल अनसुलझा है। उन्होंने कहा, 'कौन जानता है कि कल क्या होगा? कल मेरे साथ कुछ भी हो सकता है। क्यों 2024, 2029 के बारे में पूछें या बात करें?'

ललन सिंह का यह बयान तब आया है जब बीजेपी ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से पटना में पार्टी की बैठक में कहा था कि बीजेपी और जदयू 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगे। इसे भाजपा द्वारा नीतीश को एक इशारा देने के रूप में देखा गया था।

बहरहाल, बिहार के सीएम के ख़िलाफ़ साज़िश का दावा करते हुए ललन सिंह ने कहा,

हाल के दिनों में नीतीश कुमार के खिलाफ दो साजिशें रची गईं- एक 2020 का चिराग मॉडल, जो हमारी विधानसभा सीटों को 43 पर लाने के लिए ज़िम्मेदार था। दूसरी साज़िश अभी चल ही रही थी और शुरुआत में ही इसे नाकाम कर दिया गया।


ललन सिंह, जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष

ललन सिंह ने माना कि दूसरे से उनका मतलब आरसीपी सिंह वाला मामला था। बाद में उन्होंने नीतीश की अनुमति के बिना केंद्र में भाजपा सरकार के साथ मंत्री पद स्वीकार कर लिया था।

बता दें कि चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। जिन सीटों से जदयू लड़ रहा था वहीं से चिराग पासवान ने भी उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी में कई लोग मानते हैं कि उन्हें बीजेपी ने समर्थन दिया था और खुद चिराग के बयानों से भी ऐसा ही लगता है। यह पूछे जाने पर कि उन्हें क्या लगता है कि बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश कौन कर रहा है, ललन सिंह ने कहा: 'हम इसके बारे में सही समय पर बात करेंगे। इसके बारे में सभी जानते हैं।'

राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के अचानक ऐसे हमलों को मुख्यमंत्री की मांगों को मानने के लिए बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

माना जाता है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिंह को हटाया जाए। विजय कुमार और नीतीश कुमार के बीच कई बार तीखी नोक-झोंक हो चुकी है। समझा जाता है कि दोनों एक-दूसरे को नापसंद करते हैं। 

नीतीश कुमार के आज नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने की वजह इसी नापसंदगी और बीजेपी-जदयू में तनाव को बताया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री अभी-अभी कोरोना से उबरे हैं। वह एक महीने में दूसरी बार पीएम के नेतृत्व में किसी कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाए।

हालाँकि, सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुख्यमंत्री सोमवार को अपना जनता दरबार आयोजित करने के लिए तैयार हैं। उस दिन वो उस कार्यक्रम को फिर से शुरू कर सकते हैं जो पिछले कुछ हफ्तों से उनके स्वास्थ्य और अन्य व्यस्तताओं के कारण रद्द कर दिया गया था।

वैसे, बिहार में नीतीश के जेडीयू के साथ बीजेपी गठबंधन में शामिल है। लेकिन दोनों दलों के बीच मौजूदा सरकार बनने के बाद से ही समय-समय पर तनाव की ख़बरें आती रही हैं।

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिश कई बार नीति आयोग की बैठकों में नहीं गए हैं, जो बिहार को राज्य विकास रैंकिंग में सबसे नीचे रखता रहा है। इससे पहले पिछले महीने मुख्यमंत्री तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी द्वारा आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उद्घाटन समारोह से भी दूर रहे थे। 

उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक के लिए अपने डिप्टी को भेजा था। बीजेपी के साथ नीतीश कुमार के मनमुटाव की ख़बरें लगातार आ रही हैं। तो क्या इसे बिहार में राजनीतिक बदलाव की शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है? यह तो आने वाले दिनों में पता चल पाएगा।