नीतीश राज में नफ़रत बढ़ी, बिहार में भी ‘योगी मॉडल’!
गाहे बगाहे अपने चरण स्पर्श के लिए सुर्खियों में रहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी कहा करते थे कि उन्होंने ‘कम्यूनलिज़्म’ के साथ समझौता नहीं किया है लेकिन आजकल बिहार में जो कुछ हो रहा है उससे उनका दावा खोखला हो चुका है और लगता है कि नफ़रत बढ़ी है और योगी मॉडल यहां भी आ चुका है।
सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील और बिहार के सबसे भयावह दंगे के लिए बदनाम भागलपुर में जिस तरह एक मुस्लिम धर्मस्थल पर भगवा झंडा फहराया गया, वह उसी नफरत और योगी मॉडल का एक उदाहरण है। इस घटना से उत्तर प्रदेश के बहराइच की वह घटना ताजा हो गयी जिसमें भीड़ के उकसावे पर एक युवक ने एक घर से हरे झंडे को हटाकर जबरदस्ती भगवा झंडा फहरा दिया था। इसके बाद उसे गोली मार दी गई थी और उसकी मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी।
इसी भागलपुर से पिछले दिनों अपने नफ़रती बयानों के लिए बदनाम केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी हिंदू स्वाभिमान यात्रा शुरू की थी। हालांकि भागलपुर की पुलिस ने कहा है कि उसने इस मामले के दोषी को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन भागलपुर का माहौल जिस तरह नफ़रतों से भर गया उससे कैसे निपटा जाएगा?
इस मामले में जिसे गिरफ्तार किया गया है वह फिरौती और अपहरण के केस का अभियुक्त भी है। हालांकि उसने अकेले जाकर झंडा नहीं फहराया है बल्कि उसके पीछे जुलूस के बहुत सारे लोग थे। यह बात पता लगाने की है कि क्या उसने यह अपने तौर पर किया है या इसके पीछे जुलूस में शामिल लोग भी थे। पुलिस फिलहाल एक ही व्यक्ति पर कार्रवाई की बात कर रही है लेकिन कई लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जिन लोगों ने उसे उकसाया उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
इससे पहले मुजफ्फरपुर में भी इसी तरह मुस्लिम धर्मस्थल पर भगवा झंडा फहराने का नफरती काम हो चुका है। कई राजनीतिक विश्लेषक नीतीश कुमार के बारे में यह कहते हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को काबू में रखा है लेकिन बहुत से लोगों का यह ख्याल है कि दरअसल उनके शासनकाल में आरएसएस और भाजपा की जड़ें मज़बूत हुई हैं। नीतीश कुमार पर यह आरोप भी लगता है कि वह सॉफ्ट हिंदुत्व पर चलते हैं और बहुत से मामले में राज्य प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं भी होती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय स्तर के कई मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी से अलग राय रखने की बात कहते थे लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने उन सब विवादित बातों पर भारतीय जनता पार्टी का साथ दे दिया।
नागरिकता संशोधन कानून सीएए पर उन्होंने अपनी पार्टी का समर्थन भारतीय जनता पार्टी को दिया जबकि वह एनआरसी के विरोध में रहते हैं। इसी तरह ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 के मामले में भी नीतीश कुमार अपने मूल स्टैंड से समझौता कर भारतीय जनता पार्टी के साथ हो गए हैं।
इसके बावजूद उनकी पार्टी के लोग यह बताते थे कि राज्य के स्तर पर वह भारतीय जनता पार्टी को अपने स्टैंड पर चला रहे लेकिन अब उसमें भी बदलाव के संकेत आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी से संबंध रखने वाले उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि सुल्तानगंज का नाम बदलकर अजगैबीनाथ किया जाएगा। नाम बदलने का नफरती कदम तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम था लेकिन अब यह रोग बिहार में भी आ रहा है।
कुछ साल पहले नीतीश कुमार से बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग पर सवाल किया गया था तो उन्होंने उसका मजाक उड़ाते हुए उसे सिरे से खारिज कर दिया था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सम्राट चौधरी के सुल्तानगंज का नाम बदलने के प्रस्ताव को नीतीश कुमार चुपचाप मान लेते हैं या इसे अस्वीकार करते हैं।
यह बात सही है कि बहुत दिनों तक भारतीय जनता पार्टी ने ऐसी बात नहीं कही जो नीतीश कुमार की छवि के खिलाफ हो लेकिन जब से नीतीश कुमार राजनीतिक तौर पर कमजोर हुए और उनके स्वास्थ्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ शुरू होने लगीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने एजेंडे को तेजी से लागू करना शुरू किया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज और सीमांचल में घुसपैठियों का विवादास्पद मुद्दा उठाया लेकिन नीतीश कुमार ने कभी इसका खंडन नहीं किया।
पिछले दिनों अररिया के सांसद प्रदीप सिंह ने खुलेआम कहा कि जिसे अररिया में रहना है उसे हिंदू बनना होगा लेकिन इस पर भी नीतीश कुमार और उनकी पार्टी की चुप्पी यह बताती है कि कैसे धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी बिहार में नफरत और योगी मॉडल पर चल रही है।
नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाले जनता दल यूनाइटेड ने यह संदेश देने की कोशिश ज़रूर की कि हाल की एनडीए की बैठक में गिरिराज सिंह को अलग-अलग किया गया लेकिन सच्चाई यह है कि गिरिराज सिंह अपनी हिंदू स्वाभिमान यात्रा के दौरान खूब नफरती बोल बोले। गिरिराज सिंह ने अपनी हिंदू स्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण की भी घोषणा कर रखी है। बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे नज़दीक आते जाएंगे, इस तरह की यात्राओं और घोषणाओं की बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।